TORCH BEARERS BY W.M. RYBURN LESSON -5 PART 1 COMPLETE HINDI EXPLANATION



About the Auther                                                                                                                  W. M ryburn is a famous english writer who wrote on sport, political and Social subjects. His style is journalistic.
                                                                                                                           



Torch Bearers (मशाल ले जाने वाले )


Once upon a time, many centuries ago, there lived an old merchant. All his life he had toiled hard, buying and selling, with the result that he had made a lot of money. As the years went by, he laid by more and more riches, But the day came when he felt that he had not long to remain in this world. He began to wonder what should do with his money.
िसी समय बहुत शताब्दियों पूर्व एक बूढ़ा व्यापारी रहता था जीवन भर उसने सामान खरीदने तथा बेचने में कठोर परिश्रम किया था। जिसके फलस्वरूप उसने बहुत सा धन कमाया। साल के गुजरने पर वाह बहुत अधिक धनी होता चला गया। किंतु एक दिन वह आ गया जब उस व्यापारी को ऐसा अनुभव हुआ कि वह संसार में अधिक दिनों तक जीवित नहीं रह सकेगा। उसने विचार करना आरंभ किया कि वह अपने धन का क्या करें।


Now, he had two sons. He made up his mind that he would not divide his money between them, but that he would give it all to the one who proved himself to be the cleverer of the two. The problem to be solved was that of finding out which of the two sons was the cleverer. He decided to solve this problem by giving them a test.
उस समय उसके दो पुत्र थे। उसने निश्चय किया कि वह अपने धन को अपने दोनों पुत्रों के मध्य विभाजित नहीं करेगा। बल्कि वह अपने संपूर्ण धन को उसी पुत्र को देगा जो अपने आप को दूसरे से अधिक चतुर सिद्ध करेगा। समस्या यह थी कि दोनों में से कौन सा पुत्र अधिक चतुर है। इस समस्या को हल करने के लिए उसने उन दोनों की परीक्षा लेने का निश्चय किया।

Calling the young men, he said to them. “Here are tow rupees. I want you to take one rupee each and then to go out separately and buy something which will fill this house. You are not to spend more than one rupee.”
अपने दोनों नवयुवक पुत्रों को अपने पास बुला कर उस व्यापारी ने उनसे कहा ये दो रुपए हैं। मैं चाहता हूं कि तुम दोनों 1- ₹1 ले लो और अलग-अलग यहां से चले जाओ और कोई एक ऐसी वस्तु खरीदो जो इस मकान को भर दे तुम में से किसी एक को ₹1 से अधिक नहीं खर्च करना है.


The two sons looked at him as if he had taken leave of his sense. “How can we possibly buy enough of anything to fill the house with only one rupee ?” They asked themselves. And they were reluctant to pick-up the rupee. But the old man insisted on their doing as he told them. “Off you go,” he said. “And don’t take too long over the business. I expect you back in a couple of days.”
न दोनों पुत्रों ने अपने पिता की ओर इस प्रकार देखा जैसे कि उसकी बुद्धि नष्ट हो गई हो। उन्होंने अपने आप से प्रश्न किया हम केवल एक रुपए से किस प्रकार ऐसी वस्तु का पर्याप्त भाग खरीद सकते हैं जिससे मकान भर जाए? और वे ₹1 को उठाने के अनिछुक थे। किंतु उस बूढ़े व्यक्ति ने अपने पुत्रों पर जोर डाला कि वह उसके आदेश का पालन करें। उसने कहा तुम तुरंत यहां से जाओ और इस कार्य को करने में अधिक समय मत लगाना। मैं आशा करता हूं कि तुम कुछ ही दिनों में लौट आओगे।

So each young man took-up a rupee and went out. The first one wandered through the bazaar, but nothing could he find which would in any way serve his purpose. All day long he wandered about, looking in all the shops, nothing could he find. He became more and more certain that something had gone wrong with his father. He was about to give up his search in despair, when he saw a bullock cart with a load of hay “That looks hopeful,” he thought. “I wonder how much hay I can get for a rupee.”
अतः उन दोनों नव युवकों में से प्रत्येक ने ₹1 उठाया और बाहर चले ये। पहला पुत्र बाजार में घूमता रहा। किंतु उसे ऐसी कोई वस्तु नहीं मिल सकी जो उसके उद्देश्य को पूरा कर सके। वह दुकानों को देखता हुआ तमाम दिन घूमता फिरा किंतु उसे कोई वस्तु नहीं मिल सकी। उसे अधिक और अधिक विश्वास हो गया कि उसके पिता का दिमाग खराब हो गया है। वाह निराश होकर अपनी खोज के कार्य को छोड़ने ही वाला था कि उसने सूखी घास (भूसा) से भरी हुई बैल गाड़ी देखी । उसने विचार किया यह आशाप्रद दिखाई देती है। मुझे आश्चर्य है कि एक रुपए में कितनी सूखी घास मिल पाएगी।


He went up to the driver of the cart and enquired about the price of the hay. There was a good deal haggling over the price, but, in the end, he was able to buy the load of hay for rupee. (This was in the days when a rupee would buy a great deal more than it would buy now.)

वह गाड़ीवान के पास गया और सूखी घास की कीमत पूछी कीमत के ऊपर उन दोनों में काफी समय तक मोल भाव होता रहा किंतु अंत में वह बैलगाड़ी की संपूर्ण सूखी घास को एक रुपए में ही खरीदने में सफल हो गया यह  उन दिनों की बात है जब आजकल की अपेक्षा एक रुपए में बहुत अधिक सामान आता था।

So the young man led off the card with the hay to his father’s house. Hopefully he piled it into the house. But when it was all in, he found that there was not enough to cover even the floor, let alone fill the whole house.
अतः वाह नवयुवक अपने पिता के घर उस गाड़ी को ले आया उसने उस गाड़ी के बोझ को मकान में आशा पूर्वक एकत्रित करवाया। जब संपूर्ण खास मकान में डाल दी गई तब उसे ज्ञात हुआ कि संपूर्ण मकान का तो कहना ही क्या वह घास उस मकान के फर्श को भी ढकने के लिए पर्याप्त नहीं थी।

When the second son went out with his rupee, he did not go straightway to the bazaar. Instead of doing that, he sat down and began to think. For a long time, he sat thinking about what he could possibly buy. At length, at evening time, an idea struck him.                                      जब दूसरा लड़का अपने रुपए को लेकर बाहर गया तो वह सीधा बाजार को नहीं गया। ऐसा करने के स्थान पर वह बैठ गया और उसने सोचना प्रारंभ कर दिया। बहुत देर तक वह विचार करता रहा कि संभवत क्या खरीद सकता है। अंत में शाम के समय उसके मस्तिष्क में एक विचार आया।


Taking his rupee, he walked quickly down the bazaar till he came to a shop where candles were sold. He spent his rupee on candles, of which he got quite a number. Then, taking his candles with him, he made his way back to his father’s house. When he got there, his brother was standing disconsolately looking at the hay spread out on the floor.
अपने रुपए को लेकर वह शीघ्रता से बाजार गया और उस दुकान पर पहुंचा जहां पर मोमबत्तियां बिकती थी। तब उसने अपना रुपया मोमबत्तियां पर ख़र्च किया और एक रुपए में बहुत सी मोमबत्तियां पाने में सफल हुआ। तब वह अपनी मोमबत्तियां को लेकर अपने घर पर वापस आया। जब वह अपने पिता के मकान पर पहुंचा तो उसने अपने भाई को खड़ा हुआ देखा जो उस समय मकान के फर्श पर पड़ी हुई सूखी घास को निराशा पूर्वक देख रहा था।

It was now getting dark. Quickly the second son stood two or three candles in each room. Then he lit them. At once the house was filled with light.
His father was very pleased with him and said, “My son, you have shown true wisdom. I am ready to hand over all my money to you.”
अंधेरा हो रहा था शीघ्र ही दूसरे लड़के ने प्रत्येक कमरे में दो या तीन मोमबत्तियां खड़ी कर दी फिर उसने उन मोमबत्तियां को जला दिया तुरंत ही मकान प्रकाश से भर गया। उसका पिता उससे बहुत खुश हुआ उसने “कहा प्रिय पुत्र तुमने सच्ची बुद्धिमानी दिखाई है मैं अपना संपूर्ण थन तुम्हें देने के लिए तैयार हूं”।



Now, we all live in a big house which we call our native country. We have each of us been given, some one rupee, some two rupees, some three rupees and some four rupees. These rupees are not rupees with which we can buy things, but they are different powers we have been given. Each of us has powers of body, powers of mind, powers of character                                                   हम सब एक बड़े मकान में रहते हैं जिसे हम अपनी मातृभूमि कहते हैं। हम में से प्रत्येक को कुछ रुपए कुछ को एक कुछ को दो कुछ को तीन और कुछ को ₹4 दिए गए हैं। यह रूपए वे रुपए नहीं है जिनसे हम कुछ वस्तुएं खरीद सकते हैं किंतु यह विभिन्न प्रकार की क्षमताएं हैं जो हमें दी गई हैं।

Each of us has strength, time, intelligence, which can be used. As we leave school and go out into the world, we are tested as to how we are going to use these talents which we possess. Are we going to use them to buy useless hay, or are we going to use them to spread light throughout our house, that is, our country ? If we are going to be good citizens, then we shall use our powers and abilities to try to spread light into all parts of our country that is, we shall spend ourselves in the service of our country.
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हम में से प्रत्येक के पास शरीर की शक्तियां हैं मस्तिष्क की शक्तियां एवं चरित्र की शक्तियां हैं। हम में से प्रत्येक के पास शक्ति समय बुद्धिमता है जिका प्रयोग किया जा सकता है। जब हम स्कूल को छोड़ कर संसार में प्रवेश करते हैं तब हमारी परीक्षा होती है कि हम अपनी शक्तियों का प्रयोग किस प्रकार करते हैं। क्या हम इन शक्तियों का प्रयोग निरर्थक सूखी घास को खरीदने में करेंगे या इनका प्रयोग अपने मकान में जो हमारा देश है, प्रकाश फैलाने में करेंगे? यदि हमें अच्छा नागरिक बनना है तो हमें अपनी शक्तियों और क्षमताओं का प्रयोग देश के समस्त भागों में प्रकाश फैलाने के प्रयत्न में करना चाहिए अर्थात हमें अपने आपको अपने देश की सेवा में लगा देना चाहिए।

No country can progress unless it has good citizens. So that if we love our country and want to serve it, we shall try to become good citizens किसी देश की उन्नति तब तक नहीं हो सकती जब तक उसके पास अच्छे नागरिक ना हो। आता यदि हम अपने देश से प्रेम करते हैं और इसकी सेवा करना चाहते हैं तो हमें अच्छे नागरिक बनने का प्रयत्न करना चाहिए।


While we are at school, this is what we should be doing. We should be training ourselves in citizenship, and cultivating the characteristics of good citizens. If we do this, then, when we leave school and home and go out into different parts of our country, we shall be able to fill it with the light of good citizenship.
 जब तक हम स्कूल में हैं तब तक हमें यह कार्या करते रहना चाहिए। हमें अपने आप को नागरिकता के लिए प्रशिक्षित करते रहना चाहिए। और अच्छे नागरिक के विशेष गुणों को विकसित करते रहना चाहिए यदि हम यह कार्य कर लेते हैं तो जब हम स्कूल और घर छोड़कर देश के विभिन्न भागों में जाएंगे तब हम इसे अच्छी नागरिकता के प्रकाश से भरने में सक्षम हो सकेंगे।

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