The Lost Child -by Mulk Raj Anand
It was the festival of spring . From the wintry shades of
narrow lanes and alleys emerged a gaily clad humanity , thick as a swarm of
bright - coloured rabbits issuing from a warren . They entered the flooded sea
of sparkling silver sunshine outside the city gates and sped towards the fair .
Some walked , some rode on horses , others sat , being carried in bamboo and
bullock carts . One little boy ran between his parent's legs , brimming over with life
and laughter . The joyous morning gave greetings and unashamed invitations to
all to come away into the fields , full of flowers and songs .
बसंत का पर्व था । ठंडी छाया में संकरे गली - कूँचों की से सुन्दर वस्त्रधारी मोड़ ऐसी बनी होकर उमड़ रही थी जैसे किसी बिल में
से चमकीले रंगों वाले खरगोश उमड़ पड़ते हैं । शहर के फाटक से बाहर की तरफ चमकती
हुई चाँदी जैसी धूप के उमड़ते समुद्र में वे प्रवेश करते थे और मेले की तरफ सेज
गति से चल देते थे । कुछ लोग पैदल जा रहे थे , कुछ घोड़ों पर
सवार थे , कुछ बाँस की बैलों वाली गाड़ियों में बैठे हुए जा रहे थे । मस्ती व
हँसी से छलकता हुआ एक नन्हा - सा लड़का अपने माता - पिता को टाँगों के बीच - बीच
दौड़ता चल रहा था । खुशियों से भरा हुआ वह सवेरा उन सभी लोगों को फूलों व गीतों से
से हुए खेतों में निकल आने पर बधाई व खुला निमंत्रण दे रहा था ।
" Come child . come , " called his parents , as he
lagged behind , arrested by the toys in the shops that lined the way . He
hurried towards his parents , his feet obedient to their call , his eyes still
lingering on the receding toys . As he came to where they had stopped to wait
for him he could not suppress the desire of his heart , even though he well
knew the old , cold stare of refusal in their eyes .
"आ जा बच्चे" उसके माता पिता ने पुकारा जब वह रास्ते के खिलौनो की दुकानों से आकर्षित होकर पीछे रह गया था । वह अपने माता - पिता की तरफ दौड़ा , उसके
पैर उनकी पुकार के प्रति आज्ञाकारी थे । दूर हटते हुए खिलौनों पर उसकी आँखें अभी
भी जमी हुई थीं । जब वह वहाँ पर आया जहाँ पर उसके माता - पिता उसकी प्रतीक्षा में
रुके हुए थे तो वह अपनी मन की इच्छा को नहीं दबा पाया यद्यपि वह अपने माता - पिता
की आँखों में इंकार की पुरानी व ठंडी नजर को अच्छी तरह से जानता था ।
" I want that toy , " he pleaded . His father
looked at him red - eyed in his familiar tyrant's way , His mother , melted by
the free spirit of the day , was tender , and giving him her finger to catch ,
said : " Look , child , what is before you . " The faint disgust of
the child's unfulfilled desire had hardly been quelled in the heavy , pouting
sob of a breath , ' m - o - th - er , ' when the pleasure of what was before
him filled his eager eye . They had left the dusty road on which they had
walked so far . It wended its weary way circuitously to the north . They had
come upon a footpath in a field .
मुझे कह खिलौना चाहिए . ' उसने
विनती की । अपनी जानी - पहचानी शैली में उसके पिता ने उसकी जक लाल - लाल आँखों से
देखा । उस दिन के स्वच्छन्द वातावरण से द्रवित होकर , उसकी माँ नरम थी
, और उस असो अगुली पकड़ाती हुई वह बोली : देखो , बच्चे तुम्हारे
आगे वह क्या है । ' बच्चे को अतृप्त इच्छा को हल्की निराशा अभी
मुश्किल से सिसकी के साथ ' माँ ' में बदली थी कि
तभी जो कुछ अब उसके सामने था वह उसकी उत्सुक आँखों में समा गया । उन लोगों ने उस
धूल भरी सड़क को छोड़ दिया जिस पर वे अब तक चले आ रहे थे । वह तो चक्कर काटती हुई
उत्तर को चली गई थी । वे अब कटक पगडंडी पर उतर आये थे । ..
It was a flowering mustard field , pale like melting gold as
it swept across miles and miles of even land - a river of yellow liquid light ,
ebbing and falling with each fresh eddy wild wind , and straying in places into
broad rich tributary streams , yet running in a constant sunny sweep towards
the distant mirage of an ocean of silver light . Where it ended , on one side
stood a cluster of low mud - walled houses , thrown into relief by a dense
crowd of yellow - robed men and women from which arose a high - pitched
sequence of whistling , creaking , squeaking , roaring , humming noises ,
sweeping across the groves to the blue - throated sky like the weird , strange
sound of Siva's mad laughter .
वह फूलों से भरा हुआ एक सरसों का खेत था जो
मीलों तक सपाट फैली हुई धरती पर पिघले हुए सोने की भांति इस छोर से उस छोर तक फैला
हुआ था वह पीली पिघली हुई रोशनी की एक नदी थी , जो मस्त हवा के
हर ताजा झोंके के साथ उठती व गिरती थी , तथा स्थान - स्थान पर चौड़ी गहरी सहायक
धाराओं में भटक रही थी , तो भी वह एक स्थिर व धूप वाले प्रवाह
के साथ रुपहली रोशनी वाली दूर की मृगतृष्णा की दिशा में दौड़ी जा रही थी । जहाँ वह
समाप्त हो रही थी वहाँ एक तरफ को कच्ची मिट्टी के नीचे - नीचे घरों का एक झुंड
खड़ा था , जिसके किनारे से पीले वस्त्रधारी स्त्री व पुरुषों की सघन भीड़ जा
रही थी जिनमें से सीटी बजने की , चीख - पुकार की , चूहे
की - सी , गर्जन की - सी , गुनगुनाने की - सी आवाजें आ रही थीं जो
वृक्षों के कुंज में से गुजरते हुए , शिव के अलौकिक रौद्र अट्टहास की भाँति ,
नीलकंठ
आकाश की ओर निकल रही थी ।
The child looked up to his father and mother , saturated
with the shrill joy and wonder of this vast glory , and feeling that they , too
, wore the evidence of this pure delight in their faces , he left the footpath
and plunged headlong into the field , prancing like a young colt , his small
feet timing with the fitful gusts of wind that came rich with the fragrance of
more distant fields .
: बालक ने अपने माता - पिता की तरफ देखा ,
इस
विस्तृत सौन्दर्य के आनन्द एवं आश्चर्य से पूरी तरह से तृप्त होकर उसने महसूस किया
कि उसके माता - पिता भी इस शुद्ध आनन्द को अपने चेहरे पर धारण किए हुए होंगे ,
और
उसने पगडंडी छोड़ दी तथा एक युवा टटू की भाँति कूद - फाँद करते हुए वह पूरी तरह से
उस खेत में
घुस गया , और अधिक दूर के खेतों से सुगंधित हवा के जो झोंके आ रहे थे उनके साथ
अपने छोटे - छोटे पैरों की लय व ताल मिला रहा था ।
: A group of dragon - flies were bustling about on their
gaudy purple wings , intercepting the flight of a lone black butterfly in
search of sweetness from the flowers . The child followed them in the air with
his gaze , till one of them would fold its wings and rest , and he would try to
catch it . But it would go fluttering , flapping , up into the air , when he
had almost caught it in his hands . One bold black bee , having evaded capture
, sought to tempt him by whining round his ear and nearly settled on his lips ,
when his mother gave a cautionary call : " Come.child , come , come on to
the footpath . "
: नहीं गया , टिड्डों का एक
झुंड तेज बैंगनी रंग वाले पंखों को इधर - उधर उड़ा रहा था जो फूलों से मिलने वाली
मधुरता को खोजती हुई एक अकेली काली तितली की उड़ान में बाधा डाल रहा था । उन पर
नजर रखे हुए उस बालक ने उनका तब तक पीछा किया जब तक कि उनमें से एक अपने पंख मोड़
कर आराम करने बैठ और उसने उसे पकड़ने की चेष्टा नहीं कर ली । किन्तु जैसे ही वह
उसे अपने हाथों में पकड़ने को हुआ वह अपने पंख फड़फड़ाता हुआ हवा में ऊपर को चला
गया । अपने को उसकी पकड़ से बचाते हुए एक साहसी काले भँवरे ने उसके कान के पास
अपनी गुनगुन से उसे रिझाने की चेष्टा की तथा वह तो लगभग उसके होठों पर बैठ ही गया
था कि तभी उसकी माँ ने पुकार कर चेतावनी दी : ' आ जा , बच्चे
, आ जा , पगडंडी पर आ जा । '
He ran towards his parents gaily and walked abreast of them
for a while , being , however , soon left behind attracted by the little
insects and worms along the footpath that were teeming out from their hiding -
places to enjoy the sunshine . " Come , child , come . " his parents
called from the shade of a grove where they had seated themselves on the edge
of a well . He ran towards them .
प्रसन्न चित्त से वह अपने माता - पिता की तरफ
दौड़ा और कुछ देर के लिए उनसे आगे निकल गया , किन्तु शीघ्र ही
फिर पीछे छूट गया , वह पगडंडी के उन छोटे - छोटे कीट - पतंगों की
तरफ आकर्षित हो गया जो धूप का आनन्द लेने के लिए अपने - अपने छिपने के स्थान में
से निकल कर चले आ रहे थे । आ जा , बच्चे , आ जा , '
उसके
माता - पिता ने एक कुंज की छाया में से पुकारा जहाँ पर कगार पर जा बैठे थे । वह
उनकी तरफ को दौड़ा गया ।
: An old banyan tree outstretched its powerful arms over the
blossoming jack and jaman and neem and champak and scrisha and cast its shadows
across beds of golden cassis and crimson gulmohur as an old grandmother spreads
her skirts over her young ones . But the blushing blossoms freely offered their
adoration to the sun in spite of their protecting chaperon , by half covering
themselves , and the sweet perfume of their pollen mingled with the soft , cool
breeze that came and went in little puffs , only to be wafted aloft by a
stronger breeze .
एक पुराने बरगद ने अपनी मजबूत बाहें फूलते हुए
कटहल और जामुन और नीम और चम्पक और श्रीस पर फैला रखी थीं और अपनी छाया को सुनहरे
कैसिया व लाल गुलमोहर की क्यारियों के आर - पार इस तरह से गिरा रखा था जैसे कोई
बूढ़ी दादी माँ अपने दामन को अपने छोटे - छोटे बच्चों के ऊपर फैला देती है ।
किन्तु अपनी रक्षिका की उपस्थिति के बावजूद भी उन शर्मीले फूलों ने सूर्य के प्रति
अपने सम्मान सुमन अर्पित कर ही दिये , ऐसा करने के लिए उन्होंने अपने को आधा
ढका और उनके पराग की मीठी सुगंध को उस कोमल शीतल वायु में मिला दिया जो हल्के
झोंकों में आ रही थी जिस पर अधिक शक्तिशाली वायु के थपेड़े पड़ रहे थे ।
A shower of young flowers fell upon the child as he entered
the grove and, forgetting his parents, he began to gather the raining petals in
his hands. But lo ! he heard the cooing of the doves and ran towards his
parents, shouting : "The dove ! The dove !" The raining petals
dropped from his forgotten hands. A curious look was in his parents' faces till
a koel struck out a note of love and released their pent up souls. " Come
, child , come ! " they called to the child , who had now gone running in
wild capers round the banyan tree , and gathering him up they took the narrow ,
winding footpath which led to the fair through the mustard fields .
: ताजा फूलों की एक फुहार बालक पर ठीक उस समय
गिरी जब वह कुंज के अन्दर गया और अपने माता - पिता को भूल कर वह झड़ती हुई
पंखुड़ियों को अपने हाथों में बटोरने लग पड़ा । परन्तु देखो ! उसने फाख्ताओं की
कुहक सुनी और अपने माता - पिता के पास वह चिल्लाता हुआ दौड़ा , ' फाख्ता
! फाख्ता ! ' वह अपने हाथों की पंखुड़ियों को भुला बैठा और
वे नीचे झड़ गईं । उसके माता - पिता के चेहरों पर जिज्ञासा का भाव था कि एक कोयल
ने एक प्यार भरी तान छेड़ दी तथा उनकी आत्मा के तनाव को शिथिल कर दिया । ' आ
जा , बच्चे आ जा ! " उन्होंने बच्चे को पुकारा , जो
अब बरगद के वृक्ष के चारों तरफ मस्ती से कूद - कूद कर दौड़ रहा था । उसको साथ लेकर
वह सँकरी चक्करदार पगडंडी पर आ गये जो सरसों के खेत से होकर मेले को जा रही थी ।
: As they neared the village the child could see many other
footpaths full of throngs , converging to the whirlpool of the fair , and felt
at once repelled and fascinated by the confusion of the world he was entering .
A sweetmeat seller hawked : Gulab - jamun , rasgula , burfi , jalebi ' , at the
corner of the entrance , and a crowd pressed round his counter at the foot on
an architecture of many - coloured sweets , decorated with leaves of silver and
gold . The child stared open eyed and his mouth watered for the burfi that was
his favourite sweet . ' I want that burfi , ' he slowly murmured . But he half
knew as he begged that his plea would not be heeded because his parents would
say he was greedy . So without waiting for an answer he moved on .
: जब वे गाँव के पास पहुंचे तो बच्चे ने और अनेक
भीड़ - भरी पगडंडियाँ देखों जो सिमटती हुई मेले की भँवर में जा रही थीं , और
उसे वह दुनिया जिसमें वह जा रहा था , एकाएक खराब भी लगी तथा अच्छी भी प्रवेश
स्थान के एक कोने से एक हलवाई चिल्लाया : " गुलाब जामुन , रसगुल्ला
, बर्फी , जलेबी । " चाँदी और सोने के पत्तरों से
सजी हुई रंग - बिरंगी मिठाई के सजे हुए ढेर के तले उसकी दुकान पर एक भीड़ उमड़ रही
थी । बालक आँखें फाड़ कर घूर रहा था और बर्फी के लिए उसके मुँह में पानी भर रहा था
क्योंकि वह उसकी प्रिय मिठाई थी । मैं बर्फी चाहता हूँ , ' वह धीरे - से
बुड़बुड़ाया । किन्तु माँगते हुए वह अच्छी तरह जानता था कि उसके माता - पिता उसे
लालची कहेंगे । सो उत्तर की प्रतीक्षा किए बगैर वह आगे को चल दिया लगी ।
A man stood holding a pole with yellow , red , green and
purple balloons flying from it . The child was simply carried away by the
rainbow glory of the silken colours and he was possessed by an overwhelming
desire to possess them all . But he well knew his parents would never buy him
the balloons because they would say he was too old to play with such toys . So
he walked on farther .
एक आदमी एक बाँस पकड़े हुए खड़ा था जिसमें से
पीले , लाल , हरे व बैंगनी गुब्बारे उड़ रहे थे । उन रेशमी
रंगों की इंद्रधनुषी शोभा पर वह बालक मुग्ध हो गया और उसके अन्दर उन सभी को ले
लेने की तीव्र इच्छा जाग उठी । किन्तु वह अच्छी तरह से जानता था कि उसके माता -
पिता उसके लिए गुब्बारे कभी नहीं
- खरीदेंगे क्योंकि वे कह देंगे कि वह अब वैसे
खिलौनों से खेलने के हिसाब से काफी बड़ा हो गया है । सो , वह आगे को चलता
गया ।
A juggler stood playing a flute to a snake which coiled
itself in a basket , its head raised in a graceful bend like the neck of a swan
, while the music stole into its invisible ears like the gentle rippling of a
miniature waterfall . The child went towards the juggler .
But knowing his parents had forbidden him to hear such
coarse music as the jugglers played , he proceeded farther .
एक साँप के सामने एक सपेरा बीन बजाता हुआ खड़ा
था । एक टोकरी में वह साँप कुंडली मारे हुए बैठा था । उसका फन शान से ऊपर को उठा
हुआ था जैसे किसी हंस की गर्दन हो , जबकि संगीत अदृश्य कानों में चोरी -
चोरी ऐसे प्रवेश कर रहा था जैसे किसी छोटे - से झरने की हल्की - हल्की लहरें हों ।
बालक उस सपेरे के पास गया । किन्तु यह जानते हुए कि उसके माता - पिता ने उसे ऐसा
फूहड़ संगीत सुनने से मना किया हुआ जैसा कि सपेरे बजाते हैं , वह
आगे बढ़ गया ।
There was a roundabout in full swing . Men , women and
children , carried away in a whirling motion , shrieked and cried with his
dizzy laughter . The child watched them intently going round and round , a pink
blush of a smile on his face , his eyes rippling with the same movement , his
lips parted in amazement , till he felt that he himself was being carried round
. The ring seemed to go fiercely at first , then gradually it began to moveless
fast . Presently the child , rapt , finger in his mouth beheld it stop . This
time , before his overpowering love for the anticipated sensation of movement
had been chilled by the thought of his parents ' eternal denial , he made a
bold request : " I want to go on the roundabout , please , father , mother
. " There was no reply . He turned to look at his parents . They were not
there ahead of him . He turned to look on either side . They were not there .
He looked behind . There was no sign of them .
एक चक्करदार झूला पूरे जोर चल रहा था । आदमी ,
औरतें
व बच्चे चक्कर में घूम रहे थे , और चक्कर खाती हुई हँसी के साथ चीख -
पुकार मचा रहे थे । बालक उनको चक्कर लगाते हुए गौर से देख रहा था । उसके चेहरे पर
एक मुस्कराहट के साथ गुलाबी आभा थी , उसकी आँखों में उसी गति के साथ - साथ
लहरें उठ रही थीं , विस्मय से उसके होंठ खुले रह गये थे , उसे
लगा कि उसे चक्कर आने लगे हैं । पहले तो ऐसा लगा जैसे कि वह चक्र भयंकर तेजी से
घूम रहा था , फिर धीरे - धीरे उसकी चाल घटने लग गई । मुग्ध
बालक ने अपने मुँह में उँगली डाले हुए उसे रुकते हुए देखा । इस बार इससे पहले कि
उस चक्र की गति के प्रति उसकी अग्रिम भावना उसके माता - पिता की स्थाई ' नहीं
' के कारण समाप्त होती , उसने एक साहसिक प्रार्थना की : "
मैं उस चक्र पर घूमना चाहता हूँ , कृपा करके , पिताजी ,
माँ
। " कोई उत्तर नहीं मिला । वह अपने माता
पिता को देखने के लिए मुड़ा। वे उसके सामने नही थे। वह दूसरी तरफ देखने को मुड़ा । वे
वहाँ भी नही थे । उसने पीछे मुड़ कर देखा उनका कोई निशान नही था ।
A full deep cry rose within his dry throat and with a sudden
jerk of his body he ran from where he stood , crying in red fear , "
Mother , father ! ' Tears rolled down from his eyes , hot and fierce ; his
flushed face was convulsed with fear . Panic - stricken , he ran to one side
first , then to the other , hither and thither in all directions , knowing no
where to go . ' Mother , father ! ' he wailed with a moist , shrill breath now
, his throat being wet with swallowing the spittle . His yellow turban came
untied and his clothes , wet with perspiration , became muddy where the dust
had mixed with the sweat of his body . His light frame seemed heavy as a mass
of lead .
उसके सूखे कंठ में से एक भरा - पूरा रुदन उमड़
पड़ा और अपने शरीर को एकाएक झटका देकर , अपने खड़े होने वाली जगह से , भयंकर
रूप से भयग्रस्त होकर वह दौड़ पड़ा । " माताजी , पिताजी ! "
उसकी आँखों से गर्म व भयग्रस्त आँसू लुढ़क रहे थे ; उसका तमतमाया
हुआ लाल चेहरा डर से ऐंठा हुआ था । डर से व्याकुल , वह पहले एक ओर
को दौड़ा , फिर दूसरी तरफ , इधर - उधर सब
तरफ , उसे जानकारी नहीं थी कि वह कहाँ पर जाए । “ माँ , पिताजी
, " अब वह और तीखी श्वास के साथ रो पड़ा , थूक निगलने के
कारण उसका कंठ भीग रहा था । उसका पीला साफा खुल गया , और उसके कपड़े ,
पसीने
से भीग कर , यहाँ - वहाँ कीचड़ वाले हो गये थे जहाँ - जहाँ
धूल उसके पसीने पर बैठ गई थी । उसका हल्का शरीर सीसे के ढेर के ' समान
भारी प्रतीत हो रहा था ।
Having run to and fro in a rage of running for a while he
stood defeated , his cries suppressed into sobs . At little distances on the
green grass he could see , through his filmy eyes , men and women talking . He
tried to look intently among the patches of bright yellow clothes , but there
was no sign of his father and mother among these people , who seemed to laugh
and talk just for the sake of laughing and talking .
थोड़ी देर तक यहाँ - वहाँ दौड़ने के बाद जब वह
हार कर खड़ा हो गया , तो उसका रोना दब कर सिसकियों में बदल गया । हरी
घास पर थोड़ी दूर पर , अपनी आँसुओं से भरी हुई आँखों से , उसने
आदमियों व औरतों को बातचीत करते हुए देखा । उसने चमकीले पीले वस्त्रों के मध्य ,
ध्यान
से देखने की चेष्टा की , किन्तु उन लोगों के बीच , जो
सिर्फ हँसने व बोलने की गर्ज से हँसते - बोलते दिखाई दे रहे थे , उसे
अपने माता - पिता का कोई चिह्न दिखाई नहीं दिया ।
He ran hotly again , this time to a shrine to which people
seemed to be crowding . Every little inch of space here was congested with men
but he ran through people's legs , his little sob lingering ' Mother , father !
' Near the entrance to the temple , however , the crowd became very thick , men
jostled each other , heavy men , with lashing , murderous eyes and hefty
shoulders . The poor child struggled to thrust a way between their feet but ,
knocked to and fro by their brutal movements , he might have been trampled
underfoot had he not shrieked at the highest pitch of his voice : Father ,
mother ! ' A man in the surging crowd heard his cry and , stooping with very
great difficulty , lifted him up in his arms
वह फिर बेचैनी से दौड़ा , इस
बार वह उस समाधि की तरफ दौड़ा जहाँ लोगों की भीड़ जमा हो रही थी । उस स्थान की इंच
- इंच भूमि आदमियों से ठस रही थी किन्तु वह लोगों की टाँगों में से दौड़ा ,
उसकी
हिचकियाँ चल रही थीं , " माँ , पिताजी ! "
मन्दिर के प्रवेश द्वार के पास भीड़ बहुत घनी हो गई थी , लोग एक - दूसरे
से भिड़े जा रहे थे , भारी - भारी आदमी जिनकी आँखें डरावनी व
हत्यारों की - सी थीं और मजबूत कंधे थे उस बेचारे बच्चे ने उन लोगों के पैरों के
बीच में से घुसकर रास्ता बनाने के लिए संघर्ष किया परन्तु यदि वह अपनी आवाज को
एकदम तीखी करके नहीं चीखता तो वह लोगों के धक्के - मुक्के के बीच में गिर कर उनके
पैरों के तले कुचल गया होता । वह जोर से चीखा : " पिताजी , माँ
! " उस उमड़ती भीड़ में से एक आदमी ने उसकी चीख सुनी तथा बहुत कठिनाई से
झुककर उसने अपनी बाँहों में उठा लिया । ..
How did you get here , child ? Whose baby are you ? "
the man asked as he steered clear of the mass . The child wept more bitterly
than ever now and only cried : " I want my mother , I want my father ! The
man tried to soothe him by taking him to the roundabout . “ Will you have a
lift on the horse ? " he gently asked as he approached the ring . The
child's throat tore into a thousand shrill sobs and he only shouted : " I
want my mother , I want my father ! "
" बच्चे , तुम यहाँ पर
कैसे आ गए ? तुम किसके बेटे हो ? ' उस भीड़ में से
बाहर को रास्ता बनाते हुए उस आदमी ने पूछा । अब वह बालक पहले से भी अधिक दु : खी
होकर रो पड़ा और केवल यही चीखा : " मुझे अपनी माँ चाहिए , मुझे
अपने पिताजी चाहिए । " उस आदमी ने बच्चे को चक्र के पास ले जाकर उसे चुप
कराना चाहा । क्या तुम उस घोड़े पर चढ़ना पसंद करोगे ? ' उसने उस चक्र के
पास पहुँचते हुए प्यार से पूछा । बालक का कंठ एक हजार तीखी सिसकियों में फट पड़ा
और वह केवल इतना ही चीखा : " मुझे अपनी माँ चाहिए , मुझे अपने
पिताजी चाहिए ! "
The man headed
towards the place where the juggler still played on the flute to the dancing
cobra . " Listen to that nice music , child ” he pleaded . But the child
shut his ears with his fingers and shouted his double - pitched strain : “ I
want my mother , I want my father ! " The man took him near the balloons ,
thinking the bright colour of the balls would distract the child's attention
and quieten him . " Would you like a rainbow - coloured balloon ? "
he persuasively asked . The child turned his eyes from the flying balloons and
just sobbed : " I want my mother , I want my father . "
वह आदमी उस
स्थान की तरफ को चल दिया जहाँ पर वह सपेरा अभी भी नाचते हुए नाग के सामने बीन बजा
रहा था । " उस बढ़िया संगीत को सुनो , बच्चे ,
" उसने कहा । किन्तु बालक ने अपनी अंगुलियों से अपने कान बंद कर लिये
और अपने स्वर को दुगना तीखा करके चीखा : “ मुझे अपनी माँ चाहिए , मुझे
अपने ..पिताजी चाहिए । " वह आदमी उसे गुब्बारों के पास यह सोच कर ले गया कि
गुब्बारों के चमकीले रंग बच्चे के ध्यान को बँटा लेंगे और उसे चुप कर देंगे ।
" क्या तुम एक इंद्रधनुषी रंग का गुब्बारा पसंद करोगे ? " उसने
जोर देते हुए कहा । उस बालक ने उड़ते हुए गुब्बारों की तरफ से अपनी आँखें फेर ली
और सिर्फ सिसकी भरी : " मुझे अपनी माँ चाहिए , मुझे अपने
पिताजी चाहिए । "
The man , still importunate in his kindly desire to make the
child happy , bore him to the gate where the flower - seller sat . “ Look ! Can
you smell those nice flowers , child ? Would you like a garland to put round
your neck ? " The child turned his nose away from the basket and
reiterated his sob : " I want my mother , I want my father . "
Thinking to humour his disconsolate charge by a gift of sweets , the man took
him to the counter of sweet shop . “ What sweets would you like , child ?
" he asked . The child turned his face from the sweet shop and only sobbed
: " I want my mother , I want my father . "
वह आदमी अभी भी
उस बालक को खुश करने की दयामयी इच्छा लिए हुए उसे फाटक के पास ले गया जहाँ पर फूल
वाला बैठा हुआ था । " देखो ! बच्चे क्या तुम उन अच्छे - अच्छे फूलों को सूंघ
सकते हो ? क्या तुम अपने गले में पहनने के लिए एक माला चाहोगे ? " बालक
ने उस टोकरी की तरफ से अपनी नाक दूर घुमा ली और अपनी सिसकी को दुहरा दिया : "
मुझे अपनी माँ चाहिए , मुझे अपने पिताजी चाहिए । " अपनी
जिम्मेदारी में लिये हुए बालक को मिठाई का उपहार देकर सांत्वना देने के लिए वह
आदमी उसे हलवाई की दुकान पर ले गया । " तुम कौन - सी मिठाई लोगे , बच्चे
? " उसने पूछा । बालक ने हलवाई की दुकान पर से अपना चेहरा दूर घुमा लिया
और सिसक कर सिर्फ इतना बोला : “ मुझे अपनी माँ चाहिए , मुझे
अपनी पिताजी चाहिए । " " ..
1 Post a Comment:
Click here for Post a CommentAccompagnement personnel et professionnel, pour (re)Trouver l'Harmonie et la Sérénité en toutes circonstances | Séparations & Guérison | Reconstructions personnelles | Harmonie des familles recomposées | Coaching des dirigeants et équipes en entreprises. changer de vie professionnelle
ConversionConversion EmoticonEmoticon