A FELLOW TRAVELLER - BY A.G GARDINER
I do not know which of us got into the carriage first.
Indeed I did not know he was in the carriage at all for some time. It was the
last train from London to a Midland town- a stopping train, an infinitely
leisurely train one of those trains which give you an understanding of
eternity. It was tolerably full when it started, but as we stopped at the
suburban stations the travellers alighted in ones and twos, and by the time we
had left the outer ring of London behind. I was alone- or rather, I thought I was
alone.
मैं नहीं जानता हूँ कि हम में से किसने रेल के
डिब्बे में पहले प्रवेश किया । वास्तव में मुझे बिल्कुल ही पता नहीं चला कि वह कुछ
समय से रेल के डिब्बे में था । लन्दन से मिडलेन्ड के एक नगर तक के लिए यह एक
अन्तिम गाड़ी थी - रुक - रुक कर जाने वाली एक रेल , एक बेहद आलसी
रेल ( अत्यन्त धीमे चलने वाली ) उन रेलों में से एक जो आपको अनन्त काल का ज्ञान
देती है । यात्रा आरम्भ करते समय वह काफी भर चुकी थी , किन्तु जैसे -
जैसे हम उप - नगरीय स्टेशनों पर रुकते गये यात्रीगण एक - एक , दो
- दो करके उतरते गये और जिस समय हमने लन्दन की बाहरी सीमा को पार किया में अकेला
था - या मैंने यह सोचा कि अकेला था
There is a pleasant sense of freedom about being alone in a
carriage that is jolting noisily through the night, It is liberty and
unrestraint in a very agreeable form. You can do anything you like. You can
talk to yourself as loud as you please and no one will hear you. You can have
the argument out with jones and roll hiom triumphantly in the dust without fear
of a counterstroke. You can stand on your head and no one will see you. You can
sing, or dance a two-step, or practice a golf stroke, or play marbles on the
floor without let or hindrance. You can open the window or shut it without
provoking a protest. You can open both windows or shut both. Indeed you can go
on opening them and shutting them as a sort of festival of freedom.
एक ऐसे रेल के डिब्बे में जो आवाज पैदा करते हए
, झटके खाते हुए रात्रि में चला जा रहा हो , अकेले होना
स्वतंत्रता का सुखद् आभास देता है । स्वतन्त्रता एवं बन्धन विहीनता बहुत आनन्ददायक
रूप में मौजूद है । इस समय आप जो चाहें कर सकते हैं । आप जितने जोर से चाहें उतने
जोर से अपने आप से बात कर सकते हैं और कोई भी आपकी बात नहीं सुन सकता है । आप
जोन्स ( एक काल्पनिक व्यक्ति ) के साथ बहस कर सकते हैं तथा बिना किसी विरोधी
प्रहार के भय के अपनी विजय का अनुभव करते हुए उसे धूल में लुढ़का सकते हैं । आप
अपने सिर के बल खड़े हो सकते हैं और आपको कोई देखेगा नहीं । बिना किसी बाधा के आए
गा सकते हैं , दो कदम नाच सकते हैं या गोल्फ के प्रहार का
अभ्यास कर सकते हैं या फर्श पर कंचे खेल सकते हैं । बिना किसी का विरोध पाये हुए
आप खिड़की को खोल सकते हैं या उसे बन्द कर सकते हैं ।.
You can open both windows or shut both. Indeed you can go on
opening them and shutting them as a sort of festival of freedom. You can have
any corner you choose and try all of them in turn. You can lie at full length
on the cushions and enjoy the luxury of breaking the regulations and possibly
the heart of D.O.R.A. herself. Only D.O.R.A. will not know that her heart
broken. You have escaped even D.O.R.A.
आप दोनों खिड़कियाँ खोल सकते हैं या दोनों को
बन्द कर सकते हैं । स्वतन्त्रता का पर्व मनाते हुए आप उन्हें लगातार खोलते और बन्द
करते रह सकते हैं । आप अपनी पसन्द के किसी भी कोने में बैठ सकते हैं या सबकी बारी
- बारी से परीक्षा कर सकते हैं । आप गद्दियों पर पूरे लम्बे होकर लेट सकते हैं तथा
कानून , यथासम्भव राज्य सुरक्षा अधिनियम के हृदय को तोड़ने की विलासिता (
प्रसन्नता ) का आनन्द ले सकते हैं
। राज्य सुरक्षा अधिनियम को भी पता नहीं चलेगा कि उसका हृदय तोड़ा जा चुका है । आप
राज्य सुरक्षा । अधिनियम से भी बच लेंगे
On this night I did
not do any of these things. They did not happen to occur to me. What I did was
much more ordinary. When the last of my fellow-passengers had gone I put down
my paper, stretched my arms and my legs, stood up and looked out of the window
on the calm summer night through which I was journeying, nothing the pale
reminiscence of day that still lingered in the northern sky; crosses the
carriage and looked out of the other window; lit a cigarette, sat down, and began
to read again. It was then that I became aware of my fellow-traveller. He came
and sat on my nose. He was one of those wingy, nippy, intrepid insects that we
call, vaguely, mosquitoes. I flicked him off my nose and he make a tour of the
compartment investigated its three dimensions, visited each window fluttered
round the light, decided that there was nothing interesting as that large
animal in the corner, came and had a look at my neck.
इस रात
को मैंने इस प्रकार की कोई बात नहीं की । वह मुझे सूझी ही नहीं । जो कुछ मन किया
वह तो और भी साधारण बात थी । जब मेरे सहयात्रियों में से अन्तिम भी जा चुका था तो
मैंने अखबार भी नीचे रख दिया , हाथ - पैर फैला कर अंगड़ाई ली . खड़ा
हुआ और खिड़की में से झांककर ग्रीष्म ऋतु की उस शान्त रात्रि को निहारा जिसमें से
मैं यात्रा कर रहा था , मैं देख रहा था कि उत्तरी आकाश में दिवस की
हल्की पीली स्मृतियाँ अभी भी रुकी हुई थीं ; मैं रेल के
डिब्बे को इस सिरे से उस सिरे तक पार कर गया और दूसरी ओर दूसरी खिड़की से बाहर
झाँका ; एक सिगरेट जलाई , बैठ गया और फिर पढ़ने लगा । यह वह समय
था जब मुझे अपने सहयात्री का आभास हुआ । वह आया और मेरी नाक पर बैठ गया . . . . .
. . . . . वह उस प्रकार के पंख वाले , तेज , निडर कीड़ों में
से एक था जिन्हें हम साधारण रूप से मच्छर कह लेते हैं । मैंने उसे अपनी नाक पर से
उड़ा दिया और उसने डिब्बे का एक दौरा किया , उसकी तीनों
विमाओं ( लम्बाई , चौड़ाई तथा ऊँचाई ) का निरीक्षण किया , हर खिड़की
पर पहुंचा , रोशनी के चारों ओर फड़फड़ाया और तय किया कि
कोने में बैठे हुए इस विशाल पशु ( अर्थात् लेखक ) से अधिक रुचिकर अन्य कुछ नहीं है
, आया और मेरी गर्दन का अवलोकन किया
I flicked him off
again. He skipped away, took another jaunt round the compartment, returned and
seated himself impudently on the back of my hand. It is enough, I said :
magnanimity has its limits. Twice you have been warned that I am someone in
particular, that my august person resents the tickling impertinence of
strangers. I assume the black cap.
मैंने उसे फिर से भगा दिया । वह उछलकर भाग लिया
, रेल के डिब्बे का छोटा चक्कर लगाया , लौटा और
अभद्रतापूर्वक मेरे हाथ के पीछे की ओर बैठ गया । काफी हो चुका , मैंने
कहा : उदारता की भी एक सीमा होती है । दो बार तुम्हें चेतावनी दी जा चुकी है कि
मैं एक विशिष्ट व्यक्ति हूँ । मेरा शानदार व्यक्तित्व अपरिचितों की गुदगुदाने वाली
बदतमीजी पर नाराजगी प्रकट करता है । मैं काली टोपी धारण करता हूँ अर्थात् ऐसा रूप
धारण करता हूँ जैसा कि किसी को मृत्युदंड देते समय न्यायाधीश करते हैं।
I condemn you to
death. Justice demands it, and the court awards it. The counts against you are
many. You are a vagrant; you are a public nuisance, you are travelling without
a ticket; you have no meat coupon. For these and many other misdemeanours you
are about to die. I struck a swift, lethal blow with my right hand. He dodged
the attack with an with an insolent ease that humiliated me. My personal vanity
was aroused. I lunged at him with my hand, with my paper; I jumped on the seat
and pursued him around the lamp; I adopted tactics of feline cunning, waiting
till he had alighted, approaching with a horrible stealthiness, striking with a
sudden and terrible swiftness.
मैं तुम्हें मृत्युदंड देता हूँ । न्याय की यह
माँग है और न्यायालय इसे प्रदान करता है । तुम्हारे विरुद्ध अनेकों आरोप हैं । तुम
एक आवारा हो , तुम जनता को कष्ट देने वाले हो , तुम
बिना टिकट के यात्रा कर रहे हो , तुम्हारे पास माँस , चीनी
आदि खरीदने के लिए राशन कार्ड भी नहीं है । इनके तथा अन्य अनेक गम्भीर अपराधों के
लिए तुम मरने वाले हो । अपने दाहिने हाथ से मैंने एक तेज तथा घातक प्रहार किया । वह धृष्ट रूप से प्रहार से बच गया जिससे मैं अपमानित हुआ मेरी वायक्तिगत
अस्मिता को ठेस लगी। मैं अपना अखबार लेकर उसकी तरफ झपटा। मैंने सीट पर कूद कर लैम्प के चारों तरफ उसका पीछा किया मैंने बिल्लियों के समान चतुर रणनीति
अपना कर उसके आने तक प्रतीक्षा किया उसके पास पहुँच कर अचानक अत्यधिक तेज़ी के साथ चुपके
से प्रहार किया।
It was all in vain.
He played with me, openly and ostentatiously, like a skillful matador finessing
round an infuriated bull. It was obvious that he was enjoying himself, that it
was for this that he had disturbed my repose: He wanted a little sport, and
what sport like being chased by this huge, lumbering windmill of a creature,
who tasted so good and seemed so helpless and so stupid ? I began to enter into
the spirit of the fellow. He was no longer a mere insect, He was developing
into a personality, and intelligence that challenged the possession of tis
compartment with me on equal terms. I felt my heart warming towards him and the
sense of superiority fading
पर सब बेकार हो गया । उसने मुझसे खुलेआम खुलकर
खिलवाड़ किया जैसे साँड़ों की लड़ाई के खेल में साँड़ से लड़ने वाला योद्धा करता
है । यह बात बिल्कुल स्पष्ट थी कि वह आनन्द ले रहा । था और उसने इसलिए मेरे आराम
में बाधा डाली थी । उसे कुछ थोड़ा - सा खिलवाड़ चाहिए था और एक पवनचक्की जैसे भारी
- भरकम प्राणी ( लेखक ) के द्वारा , जिसका इतना अच्छा स्वाद था और जो इतना
असहाय और बेवकूफ था , पीछा किये जाने से अच्छा और दूसरा कौन - सा
खिलवाड़ हो सकता था ? मैंने साथी की आत्मा में प्रवेश करना प्रारम्भ
किया अर्थात् मैं उसे समझने और पसन्द करने लगा । वह केवल एक कीड़ा मात्र नहीं था ।
वह एक व्यक्तित्व के रूप में , एक बुद्धि के रूप में , विकसित
होता जा रहा था जिसने बराबरी के दावे के साथ इस रेल के डिब्बे पर अपने अधिकार की
मुझे चुनौती दी । मुझे लगा कि मेरे दिल में उसके लिए । मित्रता की भावना घर कर रही
थी और उच्चता की भावना फीकी पड़तो बनी जा रही थी ।
How could I feel superior to a creature who was so
manifestly my master in the only competition in which we had ever engaged? Why
not be magnanimous again? Magnanimity and mercy were the noblest attributes of
man. In the exercise of these high qualities I could recover my prestige. At
present I was a ridiculous figure, a thing for laughter and derision. By being
merciful I could reassert the moral dignity of man and go back to my corner
with honour. I withdraw the sentence of death. I said returning to my seat. I
cannot kill you, but I can reprieve you. I do it.
मैं
भला एक ऐसे प्राणी से स्वयं को श्रेष्ठ कैसे महसूस कर सकता था जो मात्र एक
प्रतियोगिता में , जिसमें हम उलझ चके थे . मेरा स्वामी बन गया था ?
फिर
से उदार हृदयता क्यों न अपना ली जाये । उदारता और दया मनुष्य के सर्वोच्च गण हैं ।
इन उच्च गुणों का प्रयोग करके में अपना सम्मान फिर से प्राप्त कर सकता हैं । इस
समय तोक हास्यास्पद व्यक्ति था , हँसी की और मजाक की वस्तु था । दयालु
बनकर में मनुष्य के नैतिक सम्मान का फिर से दावा कर सकता था और सम्मानपूर्वक अपने
कोने में वापस जा सकता था । मैं मौत की सजा को वापस लेता हूँ , अपनी
सीट पर वापस लौटते हुए मैंने कहा । मैं तुम्हें मार नहीं सकता पर मैं तुम्हारी सजा
को टाल तो सकता हूँ । मैं , इसलिए , तुम्हारी सजा को
स्थगित करता हूँ ।
I took up my paper and he came and sat on it. Foolish
fellow, I said, you have delivered yourself into my hands have but to give this
respectable weekly organ of opinion smack on both the covers and you are
corpse, neatly sandwiched between an article on 'peace Traps' and another on
'The Modesty of Mr. Hughes'. But I shall not do it. I have reprieved you, and I
will satisfy you that when this large animal says a thing he means it.
Moreover, I no longer desire to kill you. Through knowing you better I have
come to feel- shall I say? - a sort of affection for you. I fancy that St.
Francis would have called you 'little brother'. I cannot go so far as that in
Christian charity and civility. But I recognize a more distant relationship.
Fortune has made us fellow-travellers on this summer night....................
मैंने अखबार उठा लिया और वह आया और उस पर बैठ
गया । मूर्ख , मैंने कहा , तमने अपने आपको
मेरे हाथों में सौंप दिया है । मुझे केवल सम्माननीय साप्ताहिक सम्मतियों ( विचारों
) वाले अखबार के दोनों पन्नों को जोर से भींच देना है और तम एक लाश बन जाओगे |
' Peace Traps आर The Modesty of Mr . Hughes ' इन दो लेखों के
मध्य भिंच जाओगे । किन्तु मैं ऐसा नहीं करूंगा । मैंने तम्हारा दंड स्थगित कर दिया
है और मैं तुम्हें आश्वस्त कर दूँगा कि जब यह विशाल जानवर ( लेखक ) किसी बात को
कहता है तो वह उसे पूरा भी करता है । फिर मेरे मन में तम्हें मार डालने की इच्छा
भी नहीं है । तुम्हारे बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करके मुझे ऐसा लगने लगा है -
कह दें ? जैसे मेरे मन में तुम्हारे लिए स्नेह हो । बारे में आधिक ज मे कल्पना
मैं कल्पना करता हूँ कि सन्त फ्रांसिस ने तुम्हें अपना ' छोटा भाई '
कहकर
पुकारा होगा । ईसाइयों की दान और सभ्यता में मैं इतनी दूर तक तो नहीं जा सकता हूँ ,
किन्तु
मैं एक अधिक दूर का रिश्ता महसूस करता हूँ । भाग्य ने हमें ग्रीष्म ऋतु की इस रात
में सहयात्री बना दिया ।
I have interested you and you have entertained me. The
obligation is mutual and it is founded on the fundamental fact that we are
fellow mortals. The miracle of life is ours in common and it's mystery too. I
suppose you don't know anything about your journey. I am not sure that I know
about mine. We are really when you come to think of it, a good deal alike just
apparitions that are and then are not, coming out of the night into the lighted
carriage, fluttering about the lamp for a while and going out into the night
again. Perhaps
मैंने
तुम में रुचि ली है और तुमने मेरा मनोरंजन किया है । दोनों का अहसान बराबर है और
यह इस आधारभूत तथ्य पर टिका है कि हम मरणशील साथी हैं । जीवन का आश्चर्य और इसके
रहस्य भी हम दोनों के मध्य एक - से हैं । मेरा विचार है कि तुम अपनी यात्रा के
बारे में कुछ भी नहीं जानते हो । मुझे भी पूरा विश्वास नहीं है कि मैं अपनी यात्रा
के बारे में अधिक जानकारी रखता । हम लोग वास्तव में अगर तुम ऐसा सोचने लगोगे तो ,
बहत
हद तक एक - से हैं केवल छाया मात्र हैं , अभी . फिर नहीं हैं , हम
लोग रात्रि में से निकलकर प्रकाशित रेल के डिब्बे में आते हैं , कुछ
देर तक रोशनी के चारों ओर फड़फड़ाते हैं और फिर से रात्रि के अन्दर चले जाते हैं ।
शायद
"Going on to-night, sir?" said a voice at the window. It was a
friendly porter giving me a hint that this was my station. I thanked him and
said I must have been dozing And seizing my hat and stick I went out into the
cool summer night. As I closed the door of the compartment saw my
fellow-traveller fluttering round the lamp.................
. . . . . . . . . . . " क्या आप आज रात
को कहीं और जा रहे हैं , श्रीमान् ? " खिड़की
�
क्या आप आज रात
को कहीं और जा रहे हैं , श्रीमान् ? " खिड़की
पर से किसी ने कहा । यह एक | मुझसे परिचित कुली था जो मुझे संकेत दे
रहा था कि वह मेरा स्टेशन था । मैंने उसे धन्यवाद दिया और कहा | कि
मैं अवश्य ऊँघने लगा होऊँगा । और अपना टोप और छड़ी पकड़कर मैं ग्रीष्म ऋतु की शीतल
रात में बाहर | निकल लिया । जैसे ही मैंने रेल के डिब्बे का
द्वार बन्द किया तो मैंने अपने सहयात्री को लैम्प के चारों ओर फड़फड़ाते देखा ।
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