THE BEGGAR -BY ANTON CHEKHOV
Kind sir, have pity; turn your attention to a poor, hungry man! For three days I have had nothing to eat; I haven't five copecks for lodging, I swear it before God. For eight years I was a village schoolteacher and then I lost my place through intrigues. I fell a victim to calumny. It is a year now since I have had anything to do." The advocate, Sergei, looked at the ragged, fawn-coloured overcoat of the suppliant, at his dull, drunken eyes, at the red spot on either cheek, and it seemed to him as if he had seen this man somewhere before. "I have now had an offer of a position in the province of Kaluga," the mendicant went on, "but I haven't the money to get there. Help me kindly; I am ashamed to ask, but-I am obliged to by circumstances."
दयालु श्रीमान , दया कीजिए : गरीब व भूखे व्यक्ति की ओर ध्यान दीजिये ! मेरे पास तीन दिनो से खाने के लिए कुछ भी नही है । मेरे पास रहने के लिए पाँच कोपक भी नहीं हैं । मैं ईश्वर की शपथ खाकर कहता हूँ । मैं आठ साल तक विद्यालय का शिक्षक रहा हूँ और फिर षड्यंत्रों का शिकार होकर नौकरी से हाथ धो बैठा हूँ । मैं झूठे आरोप का शिकार हो गया हूँ । साल से मेरे पास कुछ काम करने को नहीं है । एक वकील सरगेई ने भिखारी के जीर्ण - शीर्ण व हल्के बादामी रंग के ओवरकोट तथा कांतिरहित तथा नशीली आँखों को तथा उसके दोनों गालों पर धब्बों को देखा , उसे प्रतीत हुआ मानो उसने पहले उस व्यक्ति को देखा है भिखारी बोलता गया , “ अब मुझे कालुगा प्रांत में एक नौकरी का बुलावा आया है , परंतु वहाँ पहुँचने के लिए मेरे पास पैसे नही हैं कृपा करके मेरी मदद कीजिए । मुझे माँगने में शर्म आती है । परंतु परिस्थितियों की वजह मुझे माँगना पड़ रहा है।
he suddenly remembered something . " Sergei's eyes fell on the man's overshoes , one of which was high and the other low , and Took here , it seems to me I met you the day before yesterday in Sadovya Street , " he said ; " but you told me then that you were a student who had been expelled , and not a village schoolteacher . Do you remember ? " " N - no , that can't be so , " mumbled the beggar , taken aback . " I am a village schoolteacher , and if you like I can show you my papers . " " Have done with lying ! You called yourself a student and even told me what you had been expelled for . Don't you remember ? " Sergei flushed and turned from the ragged creature with an expression of disgust .
अचानक उसने कुछ याद किया " सरगेई की नजरें , उस आदमी के बड़े जूतों के ऊपर पड़ी जिनमें से एक ऊँचा था व दूसरा नीचा था “ , मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि मैं आपसे सदोया गली ( स्ट्रीट ) में परसों मिला था ” , उसने कहा ; परंतु तब आपने बताया था कि आप एक विद्यार्थी थे जिसे निकाल दिया गया था और गाँव के स्कूल के अध्यापक नहीं थे । क्या आपको " नहीं - नहीं , ऐसा नहीं हो सकता , " भिखारी हक्का - बक्का होकर अस्पष्ट बोलने लगा । मैं गाँव के स्कूल का अध्यापक हूँ , और यदि आप चाहें तो मैं आपको अपने कागजों ( प्रपत्र ) में दिखा सकता हूँ । " “ झूठ बोल रहे हो । आपने स्वयं को एक विद्यार्थी बताया था , और आपने मुझे यह भी बताया था किस कारण आपको निकाला गया था । क्या आपको याद नहीं है ? " सरगेई लाल - पीला हो गया और झुंझलाकर उस जीर्ण आदमी के पास से वापस हो गया ।
" This is dishonesty , my dear sir ! " he cried angrily . " This is swindling- I shall send the police for you , damn you ! " " Sir ! " he said , laying his hand on his heart , " the fact is I was lying ! I am neither a student nor a schoolteacher . All that was fiction . Formerly I sang in a Russian choir and was sent away for drunkenness . But what else can I do ? I can't get along without lying . No one will give me anything when I tell the truth , what can I do ? " What can you do ? You ask what you can do ? " cried Sergei , coming close to him . " Work ! That's what you can do ! You must work ! " " Work - yes . I know that myself , but where can I find work ? " " How would you like to chop wood for me ? " " I wouldn't refuse to do that , but in these days even skilled wood - cutters find themselves sitting without bread . " " Will you come and chop wood for me ? " " Yes sir , I will . " " Very well , we'll soon find out . " Sergei hastened along rubbing his hands . He called his cook out of the kitchen . " Here , Olga , " he said , " take this gentleman into the wood - shed and let him chop wood . "।
मेरे प्रिय श्रीमान् ! यह बेइमानी है । वह नाराज होकर चिल्लाया । “ यह धोखेबाजी है- मैं अभी तुम्हारे पीछे पुलिस भेजता हूँ , शैतान् ! ' " श्रीमान् जी " , वह अपना हाथ अपने हृदय के ऊपर रखकर बोला , सच यह है कि मैं झूठ बोल रहा था । मैं न तो विद्यार्थी हूँ और न ही स्कूल में अध्यापक । यह सब झूठ था । पहले मैं रूसी संगीत मंडली में काम किया करता था और मद्यपान करने के आरोप में मुझे निकाल दिया गया था । परंतु मैं और क्या कर सकता हूँ ? असत्य बोले बिना मेरी जीविका नहीं चल सकती । यदि मैं सच बोलूँगा , कोई मुझे कुछ भी नहीं देगा , मैं क्या कर सकता हूँ ? " “ तुम क्या कर सकते हो ? तुम यह पूछते हो कि तुम क्या कर सकते हो ? " उसके पास आकर सरगेई चिल्लाया “ काम ! यह तो तुम कर सकते हो ? तुम्हें अवश्य काम करना चाहिए । " “ काम - हाँ । वह तो मुझे मालूम है , परंतु मुझे काम कहाँ मिलेगा ? “ क्या तुम मेरे लिए लकड़ी काटना पसंद करोगे ? " “ मैं यह कहने से इंकार नहीं करूँगा , परंतु इन दिनों कुशल लकड़हारे भी बिना रोजी के हैं । " " क्या तुम मेरे लिए लकड़ी काटना पसंद करोगे ? " " हाँ श्रीमान् , मैं करूँगा । " “ बहुत अच्छा , हम थोड़े समय में जान जाएँगे । " सरगेई अपने हाथ मलता हुआ तेजी से आगे बढ़ा । उसने अपने रसोइए को बाहर आने को कहा । " सुनो , ओलगा ” , उसने कहा , “ इस महाशय को लकड़ियों वाले स्थान पर ले जाओ और इसे लकड़ी काटने दो ।
" The scarecrow of a beggar shrugged his shoulders , as if in perplexity , and went irresolutely after the cook . It was obvious from his gait that he had not consented to go and chop wood because he was hungry and wanted work , but simply from pride and shame and because he had been trapped by his own words . It was obvious , too , that his strength had been undermined by vodka and that he was unhealthy and did not feel the slightest inclination for toil . Sergei hurried into the dining - room . From its windows one could see the wood - shed and everything that went on in the yard . Standing at the window , Sergei saw the cook and the beggar come out into the yard by the back door and make their way across the dirty snow to the shed . Olga glared wrathfully at her companion , shoved him aside with her elbow , unlocked the shed , and angrily banged the door . भिखारी के उस पुतले ने मानो हैरान होकर अपने कंधे उचकाए और रसोइए के पीछे संकुचाते हुए चला गया । उसकी चाल यह स्पष्ट था कि उसने लकड़ियाँ काटना इसलिए नहीं स्वीकार किया कि वह भूखा था और उसे काम की जरूरत थी । परंतु केवल गर्व और शर्म से स्वीकार किया था , क्योंकि वह अपने ही शब्दों के खेल में फंस गया था । यह स्पष्ट था कि रूसी मदिरा ( वोदका ) से उसकी ताकत क्षीण हो गई और वह अस्वस्थ हो गया था और परिश्रम के प्रति उसका जरा भी झुकाव नहीं था । सरगेई शीघ्रता से भोजन - कक्ष में गया । उसकी खिड़की से लकड़ियों की कोठरी और आँगन में होने वाली सारी गतिविधियाँ दिख रही थी । खिड़की के पास खड़े होकर सरगेई ने पिछले दरवाजे से प्रांगण में आकर गंदी बर्फ के आर - पार शैड में आते हुए भिखारी व रसोइया को देखा । ओलगा अपने साथी के ऊपर क्रोध से घूरने लगी और अपनी कोहनी से उसे एक तरफ हटा दिया , शैड को खोला और क्रुद्ध होकर दरवाजा बंद कर दिया ।
Next he saw the pseudo - teacher seat himself on a log and become lost in thought with his red cheeks resting on his fists . The woman flung down an axe at his feet , spat angrily , and , judging from the expression of her lips , began to scold him . The beggar irresolutely pulled a billet of wood towards him , set it up between his feet , and tapped it feebly with the axe .
The billet wavered and fell down. The beggar again pulled it to him, blew on his freezing hands, and tapped it with his axe cautiously, as if afraid of hitting his overshoe or of cutting off his finger; the stick of wood again fell to the ground. Sergei's anger had vanished and he now began to feel a little sorry and ashamed of himself for having set a spoiled, drunken, perhaps sick man to work at menial labour in the cold. An hour later Olga came in and announced that the wood had all been chopped . " Good ! Give him half a rouble , " said Sergei . " If he wants to he can come back and cut wood on the first day of each month . We can always find work for him . " इसके बाद उन्होंने नकली अध्यापक को लकड़ी के लट्ठे के ऊपर अपनी हथेली के ऊपर लाल गालों को रखकर चिंतनशील अवस्था में देखा । उस महिला ने उसके पैरों के पास कुल्हाड़ी पटक दी । क्रोध से भरकर थूका और उसे डाँटने लगी जैसा कि उसके होठों के हाव - भाव से अंदाजा लगाया जा सकता था । भिखारी ने हिचकते हुए लकड़ी की एक बोटी को अपनी तरफ खींचा । उसे अपने पैरों के मध्य में जमाया और उन पर कमजोर हाथों से कुल्हाड़ी का प्रहार किया । बोटी हिली और गिर गई । भिखारी ने दोबारा उसे अपनी ओर खींचा अपने जमे हुए हाथों पर फूंक मारी तथा बड़ी सतर्कता से उस पर आघात किया मानो वह घबराया हुआ था कि कहीं कुल्हाड़ी उसके लंबे जूतों के ऊपर न लग जाए या उसकी अँगुली न काट दें , लकड़ी की बोटी जमीन पर गिर गई । सरगेई का गुस्सा उतर गया था और उसे स्वयं पर दुःख व शर्मिंदगी महसूस होने लगी , क्योंकि उसने एक नाकारा शराबी और संभवत : बीमार व्यक्ति को ठंड में शारीरिक काम करने में जुटा दिया था । एक घंटे के बाद ओल्गा अंदर आई और उसने घोषणा की कि लकड़ी के टुकड़े काट दिए गए हैं । " ठीक है । उसे आधा रूबल दे दो ' सरगेई ने कहा । " अगर उसकी इच्छा होती हो तो प्रत्येक मास की पहली तारीख को लकड़ियाँ काटने आ जाया करे । हम उसकी खातिर हमेशा काम ढूँढ़ दिया करेंगे ।
On the first of the month the waif made his appearance and again earned half a rouble. although he could barely stand on his legs. From that day on he often appeared in the yard and every time work was found for him. Now he would shovel snow, now put the Wood-shed in order, now beat the dust out of rugs and mattresses. Every time he received from twenty to forty copecks, and once, even a pair of old trousers were sent out to him. When Sergei moved into another house he hired him to help in the packing and hauling of the furniture. This time the waif was sober, gloomy, and silent. He hardly touched the furniture, and walked behind the wagons hanging his head, not even making a pretence of appearing busy.
महीने की पहली तारीख को वह बेघर व्यक्ति आता था और हर बार - बार आधा रुबल कमा लिया करता था । हालांकि वह मुश्किल से ही अपने पैरों पर खड़ा हो सकता था । उस दिन के पश्चात् वह प्राय : प्रागंण में आ - जाया करता था और हर बार उसको काम दे दिया जाता था । वह कभी - कभार बर्फ को बेलचे से हटा दिया करता था । कभी लकड़ी वाले शेड को कायदे से कर देता था । कभी गद्दों या कालीनों की मिट्टी झाड़ दिया करता था । उसे हर बार 20 से 40 तक कोपेक्स ( रूसी रूबल ) मिल जाते थे और एक बार उसे एक जोड़े पुराने पायजामें भी दे दिए । जब सरगोई दूसरे मकान में स्थानांतरित हुआ तो उन्होंने सामान बाँधने और फर्नीचर को पैक करवाने में उसकी मदद ली । इस बार वह गंभीर , उदास तथा शांत था । उसने मुश्किल से ही फर्नीचर को छुआ और अपना सिर लटकाकर गाड़ी के पीछे दौड़ता रहा और उसने व्यस्त रहने का दिखावा भी नहीं किया ।
He only shivered in the cold and became embarrassed when the carters jeered at him for his idleness, his feebleness, and his tattered, fancy overcoat. After the moving was over, Sergei sent for him. "Well, I am happy that my words have taken effect," he said, handing him a rouble. "Here's for your pains. I see you are sober and have no objection to work. What is your name?" "Lushkoff."
वह केवल ठंड से काँपता रहा और उस समय शर्म महसूस करने लगा जब गाड़ी - चालकों ने उसके आलसी होने , उसकी कमजोरी , फटे हुए फैंसी ओवर कोट का मजाक उड़ा । जब स्थानांतरण का काम खत्म हो गया तब सरगेई ने उसे बुलाया । “ अच्छा मैं खुश हूँ कि मेरे शब्दों का कुछ प्रभाव पड़ा है । " उसे एक रूबल देते हुए बोला । “ यह आपकी मुसीबतों का पुरस्कार है । मैं देखता हूँ कि आप संयमी हैं और काम करने में आपको कोई आपत्ति नहीं होती । आपका क्या नाम है ? " “ लशकॉफ '
"Well, Lushkoff, I can now offer you some other, cleaner employment. Can you write?" "Ican." "Then take this letter to a friend of mine tomorrow and you will be given some copying to do. Work hard, don't drink, and remember what Ihave said to you. Goodbye!"
Pleased at having put a man on the right path , Sergei tapped Lushkoff kindly on the shoulder and even gave him his hand at parting . Lushkoff took the letter , and from that day forth came no more to the yard for work .
ठीक है , लशकॉफ , अब मैं आपको कोई दूसरी साफ सुथरी नौकरी दे सकता हूँ । " " क्या तुम लिख सकते हो ? " " मैं लिख सकता हूँ । " " तो मेरा यह पत्र मेरे एक मित्र के पास ले जाना और आपको नकल करने का कुछ काम मिल जाएगा । कठोर मेहनत करो , शराब मत पीना और जो कुछ भी मैंने आपसे कहा , उसे स्मरण रखना । अलविदा ! ' एक व्यक्ति को सही मार्ग पर लाने की खुशी से सरगेई ने लशकॉफ के कंधे पर आराम से थपथपाया और जुदा होते समय उससे हाथ मिलाया । लशकॉफ ने पत्र ले लिया और उस दिन के उपरांत वह उस प्रागंण में कभी काम करने नहीं आया ।
Two years went by . Then one evening , as Sergei was standing at the ticket window of a theatre paying for his seat , he noticed a little man beside him with a coat collar of curly fur and a worn sealskin cap . This little individual timidly asked the ticket seller for a seat in the gallery and paid for it in copper coins . " Lushkoff , is that you ? " cried Sergei , recognising in the little man his former wood chopper . " How are you ? What are you doing ? How is everything with you ? " " All right . I am a notary now and am paid thirty - five roubles a month . "
दो वर्ष बीत गए । फिर एक दिन शाम को ज्यों ही सरगेई एक थियेटर की खिड़की के पास अपनी सीट बुक कराने के लिए पैसे दे रहा था तो उसे अपने पास एक व्यक्ति दिखाई पड़ा जिसके कोट का कॉलर मुड़े हुए रोएँ का था और वह एक गंदी - चिथड़ी सील मछली की बनी एक टोपी लगाए था । उस नाटे व्यक्ति ने डरते हुए टिकट - विक्रेता से गैलरी की एक सीट देने के लिए कहा और ताँबे के सिक्के में उसके लिए अदायगी की । “ लशकॉफ क्या तुम हो ? " सरगेई जोर से चिल्लाया । उसने नाटे व्यक्ति को अपने पुराने लकड़हारे के रूप में पहचान लिया । “ आप कैसे है ? तुम क्या कर रहे हो ? बाकी सब कुछ कैसे चल रहा है ? " बिल्कुल ठीक । अब मैं एक नोटेरी हूँ और मुझे पैंतीस रूबल प्रतिमाह की तनख्वाह मिलती है ।
" " Thank Heaven ! That's fine ! I am delighted for your sake . I am very , very glad , Lushk off . You see , you are my godson , in a sense . I gave you a push along the right path , you know . Do you remember what a roasting I gave you , eh ? I nearly had you sinking into the ground at my feet that day . Thank you , old man , for not forgetting my words . " " Thank you , too . " said Lushkoff . " If I hadn't come to you then I might still have been calling myself a teacher or a student to this day . Yes , by flying to your protection I dragged myself out of a pit . " " Iam very glad , indeed . " " Thank you for your kind words and deeds . I am very grateful to you and to your cook . God bless that good and noble woman ! You spoke finely then , and I shall be indebted to you to my dying day ; but , strictly speaking , it was your cook , Olga , who saved me . " " How is that ? "
भगवान का शुक्र समझो । यह तो बहुत ही सुंदर बात है । मुझे आपकी इस बात पर बड़ा आनंद आया , लशकॉफ । मुझे अत्यधिक खुशी हुई है । देखो , आप एक प्रकार से मेरे ईश - पुत्र हो । तुम जानते हो कि मैंने आपको सही रास्ता दिखाया था क्या तुम जानते हो । तुम्हे स्मरण है कि मैंने तुम्हारी हँसी उड़ाई थी है ना ? मैंने उस दिन तुम्हें लगभग अपने पैरों पर गिरा दिया था । धन्यवाद वृद्ध पुरुष , मेरे शब्द स्मरण रखने के लिए आपका धन्यवाद । " “ आपका भी धन्यवाद " , लशकॉफ ने कहा , “ यदि मैं आपके पास नहीं आता तो अभी तक स्वयं को अध्यापक या विद्यार्थी कहता घूमता - फिरता । हाँ आपके संरक्षण में आकर मैं ( गर्त ) से बाहर निकल आया हूँ । “ मैं सचमुच अत्यधिक खुश हूँ । " " आपके दयालुतापूर्वक शब्दों और कार्यों के लिए आपका धन्यवाद । मैं आपका और आपकी रसोइया का अत्यधिक आभारी हूँ । भगवान उस भली सुशील महिला को खुश रखे । उस समय , आपने बहुत अच्छा बोला था और मैं जीवनपर्यंत आपका आभारी रहूँगा परंतु गंभीर होकर बोल रहा हूँ कि ओलगा नामक आपके रसोइया ने मुझे बचाया है । " " वह कैसे ? "
When I used to come to your house to chop wood she used to begin : ' Oh , you sot , you ! Oh , you miserable creature ! There's nothing for you but ruin . ' And then she would sit down opposite me and grow sad , look into my face and weep . ' Oh you unlucky man ! There is no pleasure for you in this world and there will be none in the world to come . You drunkard ! You will burn in hell . Oh , you unhappy one ! ' And so she would carry on , you know , in that strain . I can't tell you how much misery she suffered , how many tears she shed for my sake . But the chief thing was - she used to chop the wood for me
“ जब कभी मैं लकड़ियाँ काटने के लिए आपके घर आया करता था तो वह बोलना शुरु कर देती थी : ' अरे ! पियक्कड़ दयनीय प्राणी ! नष्ट करने के सिवाय , तेरे भाग्य में कुछ नहीं है ' और तब वह मेरे सामने बैठ जाया करती थी और उदास हो जाती थी , मेरे मुख की और निहारा करती थी और रो पड़ती थी । ओ , अभागे आदमी ! इस दुनिया में तेरे भाग्य में कोई खुशी नहीं है । और अगले जन्म में भी तुझे खुशी नसीब नहीं होगी । पियक्कड़ ! तू नरक में भस्म होगा । अरे , तू बदनसीब इंसान और इस प्रकार उसी लहजे में वह बड़बड़ाती रहती थी । " मैं आपसे यह वर्णन नहीं कर सकता हूँ कि उसे मेरे कारण कितनी वेदना हुई होगी और उसने मेरी खातिर कितने आँसू बहाए होंगे । परंतु मुख्य बात यह थी कि वह मेरे लिए लकड़ियाँ काटा करती थी ।
. Do you know , sir , that I did not chop one single stick of wood for you ? She did it all . Why this saved me , why I changed , why I stopped drinking at the sight of her I cannot explain . I only know that , owing to her words and noble deeds , a change took place in my heart ; she set me right and I shall never forget it . However , it is time to go now ; there goes the bell . " Lushkoff bowed departed to the gallery . '
क्या श्रीमान् , आपको पता है कि मैंने तुम्हारे लिए एक लकड़ी भी नहीं काटी थीं ? वह सब - कुछ , वही किया करती थी । इस बात ने मुझे बचाया है और उसी से मैं बदल गया हूँ । मैं इस बात का स्पष्टीकरण नहीं दे सकता कि मैंने उसकी मौजूदगी में शराब लेना बंद कर दिया था । मैं केवल यह जानता हूँ कि उसके शब्दों और अच्छे कामों के कारण ही मेरे हृदय में परिवर्तन आया है । उसी ने मुझे सही रास्ते पर लगाया है और मैं उसे कभी नहीं भूलूँगा । तथापि अब जाने का समय है अब घंटी बज चुकी है । लशकॉफ ने प्रणाम किया और गैलरी की ओर प्रस्थान कर गया ।
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