THE ADVENTURE OF TOTO -BY RUSKIN BOND
Grandfather bought Toto from a tonga - driver for the sum of
five rupees . The tonga - driver used to keep the little red monkey tied to a
feeding - trough , and the monkey looked so out of place there that Grandfather
decided he would add the little fellow to his private zoo .
दादाजी ने टोटो को एक ताँगा – चालक से पाँच
रुपये में खरीदा था । ताँगा - चालक ने उस छोटे लाल रंग के बंदर को एक नाँद के पास
बाँधा करता था और बंदर उस
जगह इतना अनुचित लगता था कि दादा जी
ने उसे अपने निजी चिड़ियाघर में सम्मिलित करने का निश्चय कर लिया
।
Toto was a pretty monkey . His bright eyes sparkled with
mischief beneath deep - set eyebrows , and his teeth , which were a pearly
white , were very often displayed in a smile that frightened the life out of
elderly Anglo - Indian ladies . But his hands looked dried - up as though they
had been pickled in the sun for many years . Yet his fingers were quick and
wicked ; and his tail , while adding to his good looks ( Grandfather believed a
tail would add to anyone's good looks ) , also served as a third hand . He
could use it to hang from a branch ; and it was capable of scooping up any
delicacy that might be out of reach of his hands .
टोटी एक सुंदर
बंदर था । उसकी चमकीली आँखें गहरी भौहों के नीचे शरारतपूर्ण ढंग से चमकती थीं ,
जब
वह मुस्कराता था तो उसके मोतियों जैसे सफेद दाँतों को देखकर भारतीय अधेड़ उम्र की
महिलाएँ डर जाती थी । परंतु
उसके हाथ सूखे - सूखे लगते थे जैसे सालों धूप में सुखाए गए हों । फिर भी उसकी
अंगुलियाँ फुर्तीली व शरारती थीं ; और उसकी पूंछ उसकी सुंदरता में चार -
चाँद लगाती थीं । ( दादाजी के विचार में पूंछ से सभी के सौंदर्य में बढ़ोतरी होती
है ) जो तीसरे हाथ का काम करती थी । वह इसका
प्रयोग करके किसी
भी शाखा से लटक सकता था और जहाँ हाथ पहुंच पाने में समर्थ नहीं होते थे , वहाँ
से वह अपनी पूँछ से भोजन प्राप्त करने मे सक्षम
हो जाता था।
Grandmother always fussed when Grandfather brought home some
new bird or animal . So it was decided that Toto's presence should be kept a
secret from her until she was in a particularly good mood . Grandfather and I
put him away in a little closet opening into my bedroom wall , where he was
tied securely - or so we thought - to a peg fastened into the wall .
दादाजी जब भी
कोई नया पक्षी या जानवर घर पर लाते थे तो दादी हमेशा हंगामा करती थी । इस प्रकार
यह निश्चय किया गया कि दादी जब तक विशेष रूप से सही मनोस्थिति में न हो तब तक टोटो
की उपस्थिति गुप्त रखी जाए । दादा जी और मैंने उसे अपने शयन - कक्ष की दीवार में
खुलने वाली कोठरी में एक खूटी से सुरक्षात्मक ढंग से बाँध दिया ।
A few hours later, when Grandfather and I came back to
release Toto, we found that the walls, which had been covered with some
ornamental paper chosen by Grandfather, now stood out as naked brick and
plaster. The peg in the wall had been
wrenched from its socket, and my school blazer, which had been hanging there,
was in shreds. I wondered what
Grandmother would say. But Grandfather
did not worry; he seemed pleased with
Toto's performance. "He's
clever," said Grandfather.
"Given time, I'm sure he could have tied the torn pieces of your
blazer into a rope, and made his escape from the window!"
कुछ घंटों पश्चात दादाजी और मैं टोटो को आजाद
करने के लिए वापस आए तो हमने देखा कि उसने खूटी को उखाड़ दिया था और जिन दीवारों
को दादाजी ने अपनी पसंद की सजावटी पन्नियों से ढका था, अब ईंट और
बास्केटबॉल की नंगी दीवार खड़ी रह गई है।
मेरे स्कूल का ब्लजर जो वहाँ टंगा था उसे टोटो ने फाड़कर चिथड़े कर दिया
था। मुझे आश्चर्य था कि दादाजी क्या कहेंगी ।
हालांकि दादाजी को कोई चिंता नहीं हुई, वह टोटो के
कारनामे से प्रसन्न लग रहे थे। "वह
चतुर है", दादाजी बोले! "अगर समय मिलता है, तो
मुझे यकीन है कि वह आपके ब्लेजर
के चीथड़े को बाँधकर रस्सी बनाकर खिड़की के रास्ते भाग निकलता ।
His presence in the house still a secret , Toto was now
transferred to a big cage in the servants ' quarters where a number of
Grandfather's pets lived very sociably together a tortoise , a pair of rabbits
, a tame squirrel and , for a while , my pet goat . But the monkey wouldn't
allow any of his companions to sleep at night ; so Grandfather , who had to
leave Dehra Dun next day to collect his pension in Saharanpur , decided to take
him along
घर में उसकी उपस्थिति अब भी गोपनीय थी , टोटो
को अब एक बड़े पिजरे में करके नौकर वाले कमरों में स्थानांतरित किया गया जहाँ दादाजी
के अनेकों पालतू पशु मिल - जुलकर रहते थे- कछुआ , खरगोश
का जोड़ा , एक पालतू गिलहरी तथा कुछ देर तक , अपनी
पालतू बकरी भी । परंतु बंदर ने रात में अपने किसी भी साथी को सोने नहीं दिया ,
अत
: दादाजी जिन्हें अगले दिन पेंशन लेने देहरादून से सहारनपुर जाना था ने टोटो को
साथ ले जाने का निश्चय किया ।
Unfortunately I could not accompany Grandfather that trip ,
but he told me about afterwards . A big black canvas kit - bag was provided for
Toto . This , with some straw at the bottom , became his new abode . When the
bag was closed , there was no escape . Toto could not get his hands through the
opening , and the canvas was too strong for him to bite his way through . His
efforts to get out only had the effect of making the bag roll about on the
floor or occasionally jump into the air - an exhibition that attracted curious
crowd of onlookers on the Dehra Dun railway platform .
दुर्भाग्यवश मैं
उस यात्रा में दादाजी के साथ नहीं जा सका था , परंतु उन्होंने
बाद में मुझे बता दिया था । टोटो को रखने के लिए एक बड़ा काले रंग का किरचिम का
किट - बैग उपलब्ध कराया गया । इसके तल में घास - फूस डाल दी गई , यह
उसका नया घर बन गया । जब बैंग बंद कर दिया गया , उसके बाहर
निकलने का कोई रास्ता न था । टोटो अपने हाथ बाहर नहीं निकाल सकता था तथा कपड़ा इतना मजबूत था कि वह दाँत से काटा नहीं सकता था । उसके
प्रयासों का परिणाम केवल इतना था कि थैला प्लेटफॉर्म पर लुढ़कता रहा था या कभी -
कभार हवा में उछल पड़ता था , एक प्रदर्शनी थी जिसमें देहरादून रेलवे
प्लेटफार्म पर उत्सुक दर्शकों की भीड़ आकर्षित हो रही थी ।
Toto remained in the bag as far as Saharanpur, but while
Grandfather was producing his ticket at the railway turnstile, Toto suddenly
poked his head out of the bag and gave the ticket collector wide grin.
The poor man was taken aback ; but , with great presence of
mind and much to Grandfather's annoyance , he said , " Sir , you have a
dog with you . You'll have to pay for it accordingly . " In vain did
Grandfather take Toto out of the bag , in vain did he try to prove that a
monkey did not qualify as a dog or even as a quadruped Toto was classified a
dog by the ticket - collector ; and three rupees was the sum handed over as his
fare . Then Grandfather , just to get his own back , took from his pocket our pet
tortoise , and said , " What must I pay for this , since you charge for
all animals ? " . The ticket - collector looked closely at the tortoise ,
prodded it with his forefinger , gave Grandfather a pleased and triumphant look
, and said No charge
. It is not a dog . "
सहारनपुर पहुंचने तक तो टोटो बैग मे
रहा , परंतु दादाजी ने यांत्रिक गेट से बाहर निकलते
समय जब अपना टिकट कलेक्टर को दिया तो टोटो ने थैले से सिर बाहर निकालकर अपने दाँत
दिखाए । बेचारा आदमी डर गया , दिमाग से दादाजी के आक्रोश को भांपते
हुए , उसने कहा , " श्रीमान , आपके साथ एक
कुत्ता है , तुम्हें इसका भाड़ादेना होगा । " दादाजी
ने टोटो को थैले से बाहर निकालकर सिद्ध करने का प्रयास किया कि वह कुत्ता नहीं
चौपाया है और उसका भाड़ा बिलकुल नहीं लगना चाहिए , टिकट संग्राहक
टोटो को कुत्ते में वर्गीकृत किया और तीन रुपये भाड़े के रूप में देने पड़े । तब
दादाजी ने बदले की भावना से अपनी जेब से कछुआ निकाला और बोले , “ क्या
मैं इसका भाड़ा दूं , क्या आप सभी पशुओं का भाड़ा लेते हो ? टिकट
- संग्राहक ने कछुए को नजदीक से देखा , उसे अपनी अंगुली से दबाया और दादाजी की
ओर प्रसन्नचित्त शौर्ययुक्त नजर डाली , और कहा , “ कोई भाड़ा नहीं
। ” यह कुत्ता नहीं है । "
When Toto was finally accepted by Grandmother , he was given
a comfortable home in the stable , where he had for a companion the family
donkey , Nana . On Toto's first night in the stable , Grandfather paid him a
visit to see if he was comfortable . To his surprise he found Nana , without
apparent cause , pulling at her halter and trying to keep her head as far as
possible from a bundle of hay . Grandfather gave Nana a slap across her
haunches , and she jerked back , dragging Toto with her . He had fastened on to
her long ears with his sharp little teeth . Toto and Nana never became friends
.
आखिर में जब दादीजी ने टोटो को स्वीकार कर लिया
तो उसे अस्तबल में एक आरामघर दिया गया । वहाँ उसका साथी परिवार का गधा नाना था ।
अस्तबल में टोटो की पहली रात को दादा जी एक नजर देखने गए कि वह आराम से था या नहीं
। उन्हें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि नाना अपनी रस्सी को खींच रहा था तथा न जाने
क्यों घास के ढेर से अपना सिर दूर हटाने का प्रयास कर रहा था । दादा जी ने नाना के
पिछवाड़े पर एक थप्पड़ जड़ दिया तथा उसने एक झटके के साथ अपना सिर पीछे हटाया ,
टोटो
भी साथ में खिंचा चला आया । वह ( टोटो ) नाना के लंबे कानों से चिपटा हुआ था और
अपने पैने दाँत उसके कानों में गड़ाए था । टोटोव नाना कभी मित्र न हो सके ।
A great treat for Toto during cold winter evenings was the
large bowl of warm water given him by Grandmother for his bath . He would
cunningly test the temperature with his hand , then gradually step into the
bath , first one foot , then the other ( as he had seen me doing ) , until he
was into the water up to his neck . Once comfortable , he would take the soap
in his hands or feet , and rub himself all over . When the water became cold ,
he would get out and run as quickly as he could to the kitchen - fire in order
to dry himself . If anyone laughed at him during this performance , Toto's
feelings would be hurt and he would refuse to go on with his bath . One day
Toto nearly succeeded in boiling himself alive .
सर्दी की शामों
में टोटो की खूब खातिरदारी होती थी , दादीजी उसे गरम पानी का एक बड़ा कटोरा
नहाने के लिए देती थी , वह बड़ी चालाकी से पानी के तापमान का परीक्षण
करता था , उसमें धीरे से हाथ डालकर देखता था कि पानी कितना गर्म है । वह धीरे -
धीरे नहाता था । ( वह मुझे जैसा करते हुए देखा था ) पहले एक पैर फिर दूसरा , तब
तक वह करता जब तक गर्दन तक पानी में न चला जाए । एक बार आराम से बैठ जाने पर वह
तथा हाथ - पाँव में साबुन लगाकर मलता था । जब पानी ठंडा हो जाता तो वह पानी से
बाहर निकलकर दौड़कर रसोई में चूल्हे के सामने सुखाने के लिए बैठ जाता था । यदि कोई
उसे ऐसा करते देखकर हँस पड़ता तो उसको बुरा
लग जाता था टोटो नहाना बंद कर देता था । एक दिन टोटो खुद ही लगभग जीवित ही उबलने वाला था ।
A large kitchen
kettle had been left on the fire to boil for tea and Toto, finding himself with
nothing better to do, decided to remove the lid. Finding the water just warm
enough for a bath, he got in, with his head sticking out from the open kettle.
This was just fine for a while, until the water began to boil. Toto then raised
himself a little; but, finding it cold outside, sat down again. He continued
hopping up and down for some time, until Grandmother arrived and hauled him,
half-boiled, out of the kettle. If there is a part of the brain especially
devoted to mischief, that part was largely developed in Toto. He was always
tearing things to pieces. Whenever one of my aunts came near him, he made every
effort to get hold of her dress and tear a hole in it.
एक बड़ी केतली आग पर चाय के लिए पानी उबालने के
लिए रखी थी । खाली बैठे इससे अच्छा कुछ न जानकर
केतली के ढक्कन हटाने का निश्चय किया । नहाने के
लिए पर्याप्त गरम पानी पाकर , उसमे वह अदर भुस गया , खुली
केतली से उसने अपने मुंह को निकाले रखा । कुछ पल के लिए उसे अच्छा लगा जब तक पानी
उबला नहीं था । टोटो जरा - सा बाहर निकला परंतु बाहर ठंड पाकर वह पुनः बैठ गया ।
उसने कुछ समय तक ऊपर - नीचे उछलना जारी रखा , जब तक दादी जी
ने आधे उबले हुए को केतली से बाहर नहीं निकाला । अगर मस्तिष्क का कोई भी भाग शरारत
करने के लिए बना है तो वह टोटो में सर्वाधिक विकसित था । वह हमेशा चीजों को फाइ -
फाड़कर अलग किया करता था । जब भी मेरी एक बुआ उसके समीप जाती तो वह उनकी पोशाक
पकड़कर छेद करने का हर संभव प्रयास करता था ।
One day , at lunch - time , a large dish of pullao stood in
the centre of the dining table We entered the room to find Toto stuffing
himself with rice . My grandmother screamed- and Toto threw a plate at her .
One of my aunts rushed forward- and received a glass of water in the face .
When Grandfather arrived , Toto picked up the dish of pullao and made his exit
through a window . We found him in the branches of the jackfruit tree , the
dish still in his arms . He remained there all afternoon , eating slowly
through the rice , determined on finishing every grain . And then , in order to
spite Grandmother , who had screamed at him , he threw the dish down from the
tree , and chattered with delight when it broke into a hundred pieces Obviously
Toto was not the sort of pet we could keep for long Even Grandfather realised
that . We were not well - to - do , and could not afford the frequent loss of
dishes , clothes , curtains and wallpaper So Grandfather found the tonga -
driver , and sold Toto back to him for only three rupees
एक दिन अपराहन
के भोजन के समय खाने की मेज पर ( डाइनिंग टेबल ) पर पुलाव की एक बड़ी प्लेट रखी
हुई थी । हम कमरे में अदर प्रविष्ट हुए और देखा कि टोटो चावल अपने मुंह में दूस
रहा था । मेरी दादी माँ ने चीख मारी तथा टोटो ने उन पर प्लेट फेक दी । जब मेरी एक
बुआ आगे बढ़ी तो उस पर पानी का गिलास फेंक दिया । जब दादाजी पहुंचे तो टोटो पुलाव
की प्लेट लेकर खिड़की से बाहर भाग गया । हमने उसे कटहल के पेड़ की शाखाओं में पाया
, प्लेट उसके हाथों में थी । वह पूरी दोपहर वहीं रहा , वह
चावल का एक - एक दाना खाने पर आमादा था और फिर दादी को चिढ़ाने के लिए उसने खाली
प्लेट पेड़ से नीचे फेंक दिया। जब प्लेट के
सैकड़ों टुकड़े हो गए तो वह खुशी से चहचहाया। निश्चित रूप से टोटों इस प्रकार पालतू नही
था जिसको हम लंबे समय तक रख सकते थे यहाँ तक दादा जी ने भी महसूस कर लिया था कि हम सब इतने समृद्ध नि हैं कि निरंतर प्लेटो,
पर्दों , वलपपेर्स के नुकसान को वहन केआर सकें । इसलिए दादा जी ने टोंगा
ड्राईवर को वापस केवल 3 रूपिये मे बेंच दिया।
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