Women's Education -By S. Radhakirishnan
You are living in an age when there are great opportunities
for women in social work , public life and administration . Society requires
women of disciplined minds and restrained manners . Whatever line of work you
undertake , you should bring to it an honest , disciplined mind . You will then
succeed and have the joy of your work .
आप ऐसे
युग में रह रहे हैं जिसमें महिलाओं को सामाजिक कार्य , सार्वजनिक जीवन
तथा प्रशासन मे बहुत अवसर
हैं । समाज को , अनुशासित मन तथा
मर्यादित व्यवहारों की महिलाओं की आवश्यकता है
। आप जिस जिस भी कार्य छेत्र को अपनाते हैं उसमें आपको एक ईमानदार
और अनशासित दिमाग लगाना चाहिए । तब आप सफल होंगे और अपने काम का आनन्द प्राप्त होगा
Actually in our
country , education , so far as girls ' education is concerned , is not
widespread enough . So every institution which contributes to the education of
girls is worthy of recognition and encouragement . But I am anxious that the
kind of education that is imparted must not only be broad but should also be
deep . We are lacking in depth . We may become learned and skilled , but if we
do not have some kind of purpose in our life , our lives themselves becore blind
, blundering and bitter .
वास्तव में हमारे देश में शिक्षा , जहाँ
तक कि बालिकाओं की शिक्षा का सम्बन्ध है , पर्याप्त विस्तृत नहीं है । इस कारण वह प्रत्येक संस्था
, जो बालिकाओं की शिक्षा में योगदान देती है , मान्यता एवं प्रोत्साहन के योग्य है । किन्तु
मुझे यह चिन्ता है कि जिस प्रकार की शिक्षा दी जाती है वह केवल विस्तृत ही नहीं
अपितु गहन भी होनी चाहिए । हममें चिंतन की कमी है । हम विद्वान तथा कुशल भले ही बन जायें
किन्तु यदि हमारे जीवन में किसी प्रकार का उद्देश्य नहीं है तो हमारे जीवन स्वयं
ही अन्धकारपूर्ण , भयंकर भूलों वाले एवं कटु बन जायेंगे
The Gita says : vyavasayatmika buddhir ekeha . For a truly
cultured mind , there is a mindedness , a dedication to a single purpose . For
the uncultured mind , the whole life is scattered in many directions -
bahusakha hyanantascta . Therefore it is essential that the education which you
acquire in these institutions should give you not merely learning and skill but
endow you with a definite purpose in life . What that purpose is you have to
define for yourselves .
गीता कहती है : व्यवसायात्मिका बुद्धिरेकेह “
निश्चयात्मक
बुद्धि एक ही है । " वास्तविक रूप एक सुसंस्कृत मस्तिष्क में एकाग्रता तथा एक
एकाकी उद्देश्य के प्रति भक्तिपूर्ण समर्पण होता है । असंस्कृत मन
के लिए सारा जीवन अनेक दिशाओं में बिखरा हआ होता है - बहुशाखा ह्यनन्ताश्च । अत :
यह आवश्यक है कि जो शिक्षा आप लोगों को इन संस्थाओं में मिलती है उससे आपको न केवल
विद्वता एवं कौशल मिले अपितु उससे आपको जीवन का एक निश्चित उद्देश्य मिले । वह
उद्देश्य क्या है यह आपको अपने आप परिभाषित करना है ।
It is said that vidya gives you viveka , vimarsarupini vidya
gives you a sense of what is right and helps you to avoid what is wrong . You
must try , therefore , to find out what is required of you in this generation .
A purpose which held good centuries ago may not hold good today in view of the
rapidly changing conditions of our country and of the world So the purpose Every
time we start , we use our hymns and end with saying santih , santih , santih .
The teacher and the pupils are expected to avoid hating each other .
यह कहा जाता है कि
विद्या विवेक देती है , विमर्षरूपिणी विद्या आपको ज्ञान देती है कि
क्या सही है और जो गलत है उससे बचने में सहायता करती है । इसलिए आपको यह जान लेने की अवश्य
चेष्टा करनी चाहिए कि इस पीढ़ी में आपसे क्या चाहा गया है । अपने देश एवं संसार की
द्रुतगति से बदलती दशाओं को दृष्टि में रखते हुए एक उद्देश्य जो शताब्दियों पूर्व
अच्छा माना गया था , आज अच्छा नहीं भी माना जा सकता है । इसलिये जो
भी उद्देश्य आप अपने जीवन में अपनाने जा रहे हों उसे वर्तमान पीढ़ी से सम्बन्धित
आवश्यकताओं के अनुरूप अपनाया जाना चाहिए । प्रत्येक बार जब हम ( कोई कार्य ) आरम्भ
करते हैं तो हम ईश्वर की प्रार्थना करते हैं और यह कहते हुए समाप्त करते हैं -
शांतिः , शांतिः , शांतिः । गुरु एवं शिष्यों से अपेक्षा की जाती
है कि वे एक - दूसरे के प्रति घृणा से बचें ।
Compassion , daya , is the quality which is more
characteristic of women than of men . I read recentlya book which speaks about
the decline of womanhood , and says that this is so because there is a decline
in compassion . In other words , the natural quality of woman is compassion .
If you do not have compassion , you are not human . It is , therefore ,
essential for every human being to develop the quality of considerateness ,
kindness and compassion . Without these qualities we are only human animals ,
nara pasu , not more than that .
दया एक ऐसा गुण है जो पुरुषों की अपेक्षा
महिलाओं में विशेष रूप से होता है । अभी हाल ही में मैंने एक पुस्तक पढ़ी जो
स्त्रीत्व के ह्रास के बारे में बताती है तथा कहती है कि यह इसलिए है क्योंकि दया
का ह्रास हुआ है । दूसरे शब्दों में स्त्री का स्वाभाविक गुण दया है । यदि आप में
दया नहीं है तो आप मानव नहीं है । इसलिये प्रत्येक प्राणी के लिये अच्छी बातों का
एवं दूसरों के प्रति सहानुभूति की भावना एवं दया का विकास करना आवश्यक है । इन
गुणों के अभाव में हम केवल नर पशु हैं और इससे अधिक कुछ नहीं हैं
There is a famous
verse which tells us . samsara visa vriksasya . In this imperfect world ,
Samsara , there are two fruits of inimitable quality . They are the study of
our great classics and communion with great minds . These two are the things
which mould men ' s minds and hearts . I am anxious that our great classics
should be suared , the classics of all countries of which we are the inheritors
एक प्रसिद्ध
श्लोक हैं - ' संसार विष वृक्षस्य . . . . . . . ' जो
हमें बताता है कि संसार विष का वृक्ष है । इस अपूर्ण संसार में अनुपम गुणों से
युक्त दो फल होते हैं । ये हैं - अपने महान ग्रन्थों का अध्ययन तथा महान विद्वानों
का सत्संग । ये दो बातें हैं जो मनुष्यों के मस्तिष्क एवं हृदयों को परिवर्तित कर
सकती हैं । मेरी तीव्र इच्छा है कि हमारे प्राचीन ग्रन्थों का , ( बल्कि
) सभी देशों के प्राचीन ग्रन्थों का अध्ययन किया जाना चाहिए ( क्योंकि ) हम उनके
उत्तराधिकारी हैं ।
It is in a small dialogue in an Upanisad that a question is
put : ' What constitutes the essence of good life ? The teacher replies : '
Didn ' t you hear the answer ? ' There was a thunderclap : dada da . Immediately
the teacher explained that these were the essence of good life dama , dana ,
daya . They constitute the essentials of the good life . You must have dama or
self - control , restraint , which is the mark of a human being . In the
Ramayana when Lakshmana sets out for the forest , his mother tells him : ' Look
upon Rama as your father , Dasaratha ; Look upon Sita as myself , as your
mother ; Look upon the forest as Ayodhya ; go , my dear . '
एक उपनिषद के एक छोटे संवाद में एक प्रश्न पूछा गया है “अच्छे जीवन का सार क्या है ? " गुरु
उत्तर देते है : "
क्या तुमने उत्तर नहीं सुना ? " बिजली की गड़गड़ाहट हुई : दा दा दा ।
गुरु ने तुरन्त स्पष्ट किया कि ये ही अच्छे जीवन के तत्व हैं - दम , दान
, दया । ये ही एक अच्छे जीवन के आवश्यक तत्व हैं । तुम्हारे पास दम
अर्थात् आत्म - नियन्त्रण , संयम होना चाहिये जो मानव प्राणी का
लक्षण है । रामायण में जब लक्ष्मण वन के लिये चलते हैं तो उनकी माँ उनसे कहती हैं
- " राम को अपने पिता दशरथ के समान मानना , सीता को अपनी
माँ के समान , जंगल को अयोध्या
के समान मानना , मेरे प्रिय , जाओ । "
There are ever many thrilling stories in our classics which
will instil into us great moral strength , which will lay down for us the lines
on which we have to conduct ourselves . . Give us good women , we will have a
great civilization . Give us good mothers , we will have a great nation .
हमारे ग्रंथों में ऐसी अनेक रोमांचक कहानियाँ
हैं जो हममें महान नैतिक शक्ति भर देंगी जो हमारे आगे ऐसी रूपरेखा प्रस्तुत कर
देंगी जिन पर हमें चलना होता है । हमें अच्छी महिलाएँ प्रदान करो , हमारे
पास एक महान सभ्यता होगी । हमें अच्छी माताएँ प्रदान करो , हमारे पास एक
महान राष्ट्र होगा ।
When you talk about education , you have several aims in
view : give the people those who are taught , knowledge of the world in which
they live - science , history and geographyenableyou to get that knowledge ;
you also train the people to acquire some technical skill by which they can
earn a livelihood जब आप शिक्षा के बारे में बात करते हैं तो आपकी
दष्टि में अनेक लक्ष्य होते हैं । जिनको शिक्षित किया जाता है उन लोगों को उस
दुनिया का ज्ञान दो जिसमें वे रहते हैं - विज्ञान , इतिहास एवं
भूगोल आपको उस ज्ञान को
पाने के योग्य बनाते हैं , आप कुछ तकनीकी कौशल अर्जित करने के लिए
लोगों को प्रशिक्षित करते हे जिसके द्वारा वे अपनी जीविका चला सकें ।
These are still accepted the world over as the objects of education
: knowledge of the world in which you live and technical skill by which you can
earn a livelihood . But what is there specific about the kind of education
imparted in the institutions of our country ?
सारे संसार में इनको अभी भी शिक्षा के
उद्देश्यों के रूप में माना जाता है : उस संसार का ज्ञान जिसमें कि आप रहते हैं और
तकनीकी कौशल जिनके द्वारा आप जीविकोपार्जन कर सकते हैं । किन्तु हमारे देश की
संस्थाओं में दी जाने वाली शिक्षा के बारे में विशेषता क्या है ?
We have heard that
the chief purpose of education is not merely the acquiring of skill or
information but the initiation into a higher life , initiation into a world
which transcends the world of Space and Time , though the latter informs and
animates the former . That has been the main purpose of education . For some
centuries we neglected our women folk . Our tradition , however , has been
somewhat different :
हमने सुना है कि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य केवल
कौशल या ज्ञान की प्राप्ति ही नहीं है अपितु उच्चतर जीवन में प्रवेश भी है - ऐसे
संसार में प्रवेश कराना जो अन्तरिक्ष तथा समय से परे हो । यद्यपि यहाँ बाद में
लिखी गई वस्तु पहली वाली लिखी गई वस्तु के विषय में सूचना देती है और प्रेरित करती
है अर्थात् भौतिक संसार ( जिसमें हम रहते हैं ) पारलौकिक संसार के लिए हमें
प्रेरणा देता है । शिक्षा का यही मुख्य उद्देश्य रहता रहा है । कुछ शताब्दियों तक
हमने अपने स्त्री समाज की अवहेलना की । हमारी परम्परा कुछ भिन्न रही
Purakalpesu narinam
mandira vandana
niscitah
adhyapanaca vedanam
gayatri vacanam tatha.
पुराकल्पेषु नारीनाम् मंदिरा वन्दना निश्चितः ;
अध्यापनांका
वेदानाम् गायत्री वचनाम् तथा
(अर्थात्
प्राचीनकाल में स्त्रियों द्वारा मंदिरों में पूजन करना , वेदों का पठन
तथा गायत्री मंत्र का उच्चारण करना स्वीकृत था)
In ancient times ,
our women had the ceremony of upanayana performed for them . They were entitled
to a study of the Vedas . They were also entitled to the chanting of the
gayatri japa . All these things were open to our women . But our civilization became
arrested and one the main signs of that decay of our civilization is the
subjection of women . After Independence , through the exertions of Mahatma
Gandhi , a revolution has ' been effected in our country , and women are coming
into their own .
प्राचीनकाल में स्त्रियों के उपनयन संस्कार होते थे । उन्हें वेदों के अध्ययन का
अधिकार था । उन्हें गायत्री मंत्र जपने का भी अधिकार था । ये सब कार्य हमारी महिलाओं के लिए खुली हुई थीं ।
किन्तु हमारी सभ्यता बन्धन में आ गई अर्थात् गतिशील न रही और हमारी सभ्यता के पतन
के अनेक कारणों में से एक स्त्रियों की पराधीनता है । स्वतन्त्रता के बाद महात्मा गाँधी के प्रयासों
के द्वारा हमारे देश में एक क्रान्ति हुई और
स्त्रियाँ अपने गौरव को प्राप्त करने लगी
हैं ।
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