A Letter To God
UP BOARD CLASS 10TH
UP BOARD CLASS 10TH
By G.L Fuents
THE house — the only one in the entire valley — sat
on the crest of a low hill. From this height one
could see the river and the field of ripe corn dotted
with the flowers that always promised a good
harvest.
उस पूरी घाटी में वह अकेला घर था जो एक निचली पहाड़ी की चोटी पर स्थित था। इतनी ऊंचाई से एक व्यक्ति नदीपके अनाज के खेतों कोजिसमें कहीं-कहीं फूल खिले हुए थेजो हमेशा अच्छी फसल का वादा करते थे।
The only thing the earth needed was a
downpour or at least a shower. Throughout the
morning Lencho — who knew his fields intimately
— had done nothing else but see the sky towards
the north-east. एकमात्र वस्तु जिसकी पृथ्वी को आवश्यकता थी वह थी भारी वर्षा या कम से कम बूंदा बादी। सुबह से लैंचो जो अपनी फसल को बहुत अच्छी तरीके से जानता था,उत्तर पश्चिम की ओर आकाश को देखने के अलावा कुछ नहीं किया था
“Now we’re really going to get some water, woman.”
The woman who was preparing supper, replied,
“Yes, God willing”. The older boys were working in
the field, while the smaller ones were playing near
the house until the woman called to them all, “Come
for dinner”.
अब वाकई कुछ वर्षा होने वाली है ,”स्त्री”। स्त्री जो शाम का भोजन बना रही थी उत्तर दिया ,हां भगवान की इच्छा
,बड़े लड़के खेत में काम कर रहे थे जबकि छोटे वाले घर के पास खेल रहे थे जब तक कि स्त्री ने उन सब को पुकारा नहीं “ खाने के लिए आओ
It was during the meal that, just as
Lencho had predicted, big drops of rain began to
fall. In the north-east huge mountains of clouds
could be seen approaching. The air was fresh and
sweet. The man went out for no other reason than
to have the pleasure of feeling the rain on his body,
and when he returned he exclaimed, ‘‘These aren’t
raindrops falling from the sky, they are new coins.
The big drops are ten cent pieces and the little ones
are fives.’’
जब वे खाना खा रहे थे तो लेंचो की भविष्यवाणी के अनुसार वर्षा की बड़ी-बड़ी बूंदें गिरने लगी उत्तर- पूर्व में बादलों के विशाल पहाड़ आते दे दिखाई पड़ रहे थे हवा में ताजगी और मिठास थी लेंचो वर्षा की बूंदों का आनंद अपने शरीर पर महसूस करने के लिए बाहर निकल गया और जब वह वापस लौटा तो चिल्लाया:आकाश में यह वर्षा की बूंदे नहीं नए सिक्के गिर रहे हैं। बड़ी बूंदें 10 सेंट के सिक्के हैं और छोटी पांच के हैं।
With a satisfied expression he regarded the field
of ripe corn with its flowers, draped in a curtain of
rain. But suddenly a strong wind began to blow
and along with the rain very large hailstones began
to fall. These truly did resemble new silver coins.
The boys, exposing themselves to the rain, ran out
to collect the frozen pearls
संतुष्ट के भाव से उसने फूलों सहित के अनाज के अपने खेतों को वर्षा के आवरण में लिपटे हुए देखा। अचानक तेज हवाएं चलने नदी और ओले पड़ने लगे थे। ओले चाँदी के सिक्कों के समान लग रहे थे लड़के भीगने की बिना परवाह किए जमे हुए उन मोतियों को एकत्र करने के लिए बाहर दौड़ गए।
‘‘It’s really getting bad now,’’ exclaimed the man.
“I hope it passes quickly.” It did not pass quickly.
For an hour the hail rained on the house, the
garden, the hillside, the cornfield, on the whole
valley. The field was white, as if covered with salt.
Not a leaf remained on the trees. The corn was
totally destroyed. The flowers were gone from the
plants. Lencho’s soul was filled with sadness.
यह तो वाकई बुरा हो रहा है। मुझे आशा है ओले गिरने जल्दी बंद हो जाएंगे। लैंचो चिल्लाया। परंतु ऐसा शीघ्र नहीं हुआ।लैंचो चिल्लाया।परंतु ऐसा शीघ्र नहीं हुआ. 1 घंटे तक हर ओर घर पर, पहाड़ी के आसपास, अनाज के खेत में ओले गिरते रहे। खेत सफेद हो गया था जैसे उस पर नमक की परत चढ़ गई हो। पेड़ों पर एक भी पत्ता नहीं बचा। अनाज पूरी तरह नष्ट हो गया था। पौधों पर से फूल गायब हो गए थे । लैंचो की आत्मा दुख से भर गई।
When
the storm had passed, he stood in the middle of the
field and said to his sons, “A plague of locusts would have left more than this. The hail has left nothing.This year we will have no corn.’’
That night was a sorrowful one.
“All our work, for nothing.”
‘‘There’s no one who can help us.”
“We’ll all go hungry this year.” जब तूफान थम गया। तो तो वह खेत के बीच में खड़ा हो गया और अपने बेटों से बोला “टिडडयों का समूह भी इससे अधिक छोड़ देता….ओलों ने तो कुछ भी नहीं छोड़ा। इस साल हमारे पास अनाज नहीं होगा।
वह रात बहुत दुख भरी थी।
हमारी सारी मेहनत बेकार हो गई।
कोई भी ऐसा नहीं जो हमारी मदद कर सके।
इस साल हम सब भूखे मर जाएंगे….
But in the hearts of all who lived in that solitary
house in the middle of the valley, there was a single
hope: help from God.
“Don’t be so upset, even though this seems like
a total loss. Remember, no one dies of hunger.”
लेकिनउन सबके दिलों में जो घाटी के मत अकेले मकान में रहते थे केवल एक ही आशा थी भगवान की सहायता की।इतने परेशान मत हो यद्यपि यह पूरी हानि प्रतीत होती है याद रखो भूख से कोई नहीं मरता। लोगों का यही कहना है भूख से कोई नहीं मरता।……
“That’s what they say: no one dies of hunger.”
All through the night, Lencho thought only of
his one hope: the help of God, whose eyes, as he
had been instructed, see everything, even what is
deep in one’s conscience. Lencho was an ox of a
man, working like an animal in the fields, but still
he knew how to write. The following Sunday, at
daybreak, he began to write a letter which he
himself would carry to town and place in the mail.
It was nothing less than a letter to God.
पूरी रात लैंचो एक ही आशा के बारे में सोचता रहा भगवान कीसहायता, जिसकी आंखें जैसा कि उसको बताया गया था सब कुछ देखती हैं। यहां तक कि उसे भी जो व्यक्ति की आत्मा के अंदर होता है।लैंचो एक बैल के समान व्यक्ति था जो खेत में पशुओं की तरह काम करता था किंतु फिर भी वह लिखना जानता था। अगले रविवार को सूर्योदय के समय वह एक पत्र लिखने लगा जिसे वह स्वयं शहर ले जाएगा और डाक में डालेगा।यह भगवान के नाम पत्र से कुछ कम नहीं था।
“God,” he wrote, “if you don’t help me, my family
and I will go hungry this year. I need a hundred
pesos in order to sow my field again and to live
until the crop comes, because the hailstorm....”
उसने लिखा “भगवान यदि तुम नेमेरी सहायता नहीं की तो मुझे और मेरे परिवार को इस वर्ष भूखा रहना पड़ेगा। मुझे अपने खेत को दोबारा बोने के लिए तथा अगली फसल आने तक गुजारा करने के लिए एक सौ पीसोस पीसोस की आवश्यकता है क्योंकि ओलो के तूफान ने………
He wrote ‘To God’ on the envelope, put the letter
inside and, still troubled, went to town. At the post
office, he placed a stamp on the letter and dropped
it into the mailbox. उसने लिफाफे के ऊपर लिखा, “भगवान के लिए”उसके अंदर पत्र दिया और दुखी था शहर चला गया। डाक घर पहुंच कर उसने लिफाफे पर टिकट लगाया और इससे पत्र पेटी में डाल दिया।
One of the employees, who was a postman and
also helped at the post office, went to his boss
laughing heartily and showed him the letter to God.
Never in his career as a postman had he known
that address. The postmaster — a fat, amiablefellow — also broke out laughing, but almost
immediately he turned serious and, tapping the
letter on his desk, commented, “What faith! I wish I
had the faith of the man who wrote this letter.
Starting up a correspondence with God!”
कर्मचारियों में से एक जो डाकिया था और डाकघर में भी सहायता करता था हंसता हुआ अपने बॉस के पास ले गया और उसे भगवान के नाम का पत्र दिखाया। डाकिए को उसके पूरे व्यवसाय में भगवान का पता नहीं मालूम हुआ था। मोटा ,अच्छे स्वभाव का पोस्ट मास्टर हंस पड़ा किंतु तुरंत ही गंभीर हो गया और पत्र को मेज पर रख कर थक थक करते हुए “वाह क्या विश्वास है! काश मेरा भी भगवान में ऐसा ही विश्वास होता जैसा कि पत्र के लेखक का है। भगवान के साथ पत्र व्यवहार!”
So, in order not to shake the writer’s faith in God,
the postmaster came up with an idea: answer the
letter. But when he opened it, it was evident that to
answer it he needed something more than goodwill,
ink and paper. But he stuck to his resolution: he
asked for money from his employees, he himself gave
part of his salary, and several friends of his were
obliged to give something ‘for an act of charity’.
इसलिए लेखक के भगवान में विश्वास को बनाए रखने के लिए पोस्ट मास्टर ने एक उपाय सोचा ‘ पत्र का उत्तर देने का’ लेकिन जब उसने उसे खोला तो यह स्पष्ट था कि इसका उत्तर देने के लिए सद्भावना कागज और स्याही के अतिरिक्त कुछ और भी चाहिए था लेकिन वह अपने फैसले पर अडिग रहा, उसने अपने कर्मचारियों से धमाका स्वयं उसने अपने वेतन का एक भाग दिया और अपने कई मित्रों को भी दान के एक कार्य के लिए मजबूर किया। It was impossible for him to gather together the hundred pesos, so he was able to send the farmer
only a little more than half. He put the money in an
envelope addressed to Lencho and with it a letter
containing only a single word as a signature: God.
सौ पीसोस उसके लिए एकत्रित करना असंभव थाआता वह किसान को आधे से कुछ ही अधिक धन भेज सका। उसने धन को एक लिफाफे में रखा उस पर लेंचो का पता लिखा और उसके साथ एक पत्र एक शब्द ‘भगवान’ के हस्ताक्षर के रूप मे लिख दिया।
The following Sunday Lencho came a bit earlier
than usual to ask if there was a letter for him.
It was the postman himself who handed the letter
to him while the postmaster, experiencing the
contentment of a man who has performed a good
deed, looked on from his office.
अगले रविवार को समान्यतः लेंचो थोड़ा पहले आया जानने के लिए कि क्या उसके लिए कोई पत्र आया? डाकिये ने स्वयं उसे पत्र दिया जबकि पोस्ट मास्टर, जिसने एक अच्छा कार्य किया था संतुष्टि से दफ्तर के दरवाजे से देख रहा था
Lencho showed not the slightest surprise on
seeing the money; such was his confidence — but
he became angry when he counted the money. God
could not have made a mistake, nor could he have
denied Lencho what he had requested.
लेंचो ने धन देखकर थोड़ा भी आश्चर्य प्रकट नहीं किया ऐसा उसका विश्वास था परंतु जब उसने धन गिना तो वह नाराज हो गया। भगवान ऐसी गलती नहीं कर सकते और ना ही मना कर सकते हैं लैंचो को जिसके लिए उसने प्रार्थना किया है
Immediately, Lencho went up to the window to ask for paper and ink. On the public writing-table,
he started to write, with much wrinkling of his brow,
caused by the effort he had to make to express his
ideas. When he finished, he went to the window to
buy a stamp which he licked and then affixed to
the envelope with a blow of his fist.
तुरंत लैंचो खिड़की पर कागज और स्याही मांगने गया। लिखने वाली सर्वजनिक मेज पर बैठकर उसने लिखना प्रारंभ किया। उसने लिखने में इतना प्रयत्न किया कि उसकी भाहों पर बल पड़ गए। उसने जब लिखना समाप्त किया तो वह टिकट खरीदने खिड़की पर गया जिस पर चाट कर लिफाफे पर घूंसा मार कर उसे चिपका दिया The moment
the letter fell into the mailbox the postmaster went
to open it. It said: “God: Of the money that I asked
for, only seventy pesos reached me. Send me the
rest, since I need it very much. But don’t send it to
me through the mail because the post office
employees are a bunch of crooks. Lencho.”
जैसे ही उसने पत्र को पत्रपेटी में डाला पोस्टमास्टर इसे खोलने के लिए गया। उसमें लिखा था-भगवान! जोधन मैंने आपसे मांगा था उसमें से केवल 70 पीसेज मेरे पास पहुंचे हैं। मुझे शेष धनराशि भी भेज दीजिए क्योंकि मुझे उसकी सख्त आवश्यकता है। परंतु यह धन मेरे पास डाक द्वारा मत भेजिएगा क्योंकि डाकघर के कर्मचारी बेईमानों का समूह है। TRANSLATED BY AKMAL FAROOQUI
**********************************************************************
1 Post a Comment:
Click here for Post a Commentमेरा नाम लिलियन एन है। यह मेरे जीवन का बहुत खुशी का दिन है क्योंकि डॉ. सगुरू ने अपने जादू और प्रेम मंत्र से मेरे पूर्व पति को वापस लाने में मेरी मदद की है। मेरी शादी को 6 साल हो गए थे और यह बहुत भयानक था क्योंकि मेरा पति वास्तव में मुझे धोखा दे रहा था और तलाक की मांग कर रहा था, लेकिन जब मुझे इंटरनेट पर डॉ.सागुरु का ईमेल मिला कि कैसे उन्होंने कई लोगों को उनकी पूर्व प्रेमिका को वापस लाने में मदद की है और रिश्ते को ठीक करने में मदद करते हैं और लोगों को अपने रिश्ते में खुश रहने में मदद करते हैं। मैंने उन्हें अपनी स्थिति बताई और फिर उनसे मदद मांगी लेकिन मुझे आश्चर्य हुआ कि उन्होंने मुझसे कहा कि वह मेरे मामले में मेरी मदद करेंगे और अब मैं जश्न मना रही हूं क्योंकि मेरे पति अच्छे के लिए पूरी तरह से बदल गए हैं। वह हमेशा मेरे साथ रहना चाहता है और मेरी उपस्थिति के बिना कुछ नहीं कर सकता। मैं वास्तव में अपनी शादी का आनंद ले रहा हूं, क्या शानदार जश्न है। मैं इंटरनेट पर गवाही देता रहूँगा क्योंकि डॉ. सगुरु वास्तव में एक वास्तविक जादू-टोना करने वाले व्यक्ति हैं। क्या आपको सहायता की आवश्यकता है तो अभी ईमेल के माध्यम से डॉक्टर सगुरु से संपर्क करें:drsagurusolutions@gmail.com या व्हाट्सएप +12098373537 वह आपकी समस्या का एकमात्र उत्तर है और आपको अपने रिश्ते में खुशी महसूस कराते हैं। और वह इसमें भी परिपूर्ण हैं
1 प्रेम मंत्र
2 पूर्व को वापस जीतें
3 गर्भ का फल
4 प्रमोशन मंत्र
5 सुरक्षा मंत्र
6 व्यापार मंत्र
7 अच्छी नौकरी का मंत्र
8 लॉटरी मंत्र और कोर्ट केस मंत्र।
ConversionConversion EmoticonEmoticon