THE GOLD WATCH -BY PONJIKARA RAPHY
As on many previous nights, Sanku could not get any sleep
that night. He turned and tossed in his bed, but it was no use... The more he
thought, the worse he felt. He closed his eyes and lay on his torn mat, in the
darkness. And yet he could see it as clearly as during the day; the deserted
office room-when everyone had gone out for rest or for lunch. The glass window
was only partly closed. On one end of the table inside were a few fat volumes,
at the other end, a pen, an ink-bottle and so forth, and in between was a gold
watch with its gold chain placed on a book.
पिछली अनेक रातों के समान
संकू उस रात को भी नहीं सो सका । वह अपने बिस्तर में करवटें बदलता
रहा , किन्तु इससे कोई फायदा नहीं हुआ
.. । वह जितना ज्यादा सोचता
था उसकी चिन्ता उतनी ही अधिक बढ़ी हुई मालूम
होती थी । उसने उस अन्धकार में अपनी आँखें बन्द कर ली और अपनी फटी चटाई पर लेट गया
। तो भी उसे सब कुछ इतना साफ - साफ दिखायी दे रहा था मानो वह दिन ( की रोशनी ) में
( सब कुछ ) देख रहा हो । सूना पड़ा हुआ दफ्तर का कमरा - जब हर एक आदमी दोपहर के
भोजन के लिये बाहर चला जाता है । काँच की खिड़की केवल थोड़ी भिड़ी हुई थी । अन्दर
रखी हुई टेबिल के एक किनारे पर कुछ मोटी किताबें रखी हुई थीं , दूसरे
किनारे पर एक कलम , स्याही की एक बोतल तथा ऐसी ही कुछ चीजें रखी
हुई और ( इनके ) बीच में एक किताब के ऊपर सोने की चेन लगी एक सोने की घड़ी रखी हुई
थी ।
Open the window and stretch out your hand about a foot and
you can pick it up. Everyone is out for lunch ! Nobody will know... Sanku
remembered his efforts, his cowardice and his vacillation during the past few
days. He had never seen anyone there at that time. And yet, he had been afraid.
He hadtrembled and felt breathless . That was why he had refrained from taking
the watch every time .
खिड़की को पूरा खोलिये और अपना हाथ करीब एक फुट
( अन्दर ) बढाइये और आप उसे ( घड़ी को ) ठटा सकते हैं । हर एक व्यक्ति दोपहर का
खाना खाने बाहर चला गया है । किसी को ( जरा भी ) मालूम नहीं होगा ... पिछले अनेक
दिनों में ( लगातार ) की गयी अपनी कोशिशें , अपनी कायरता और
अपनी ( हिचकिचाहट ) उसे याद आने लगी । उसे उस समय वहाँ कोई भी नजर नहीं आया था ।
तो भी वह डर रहा था । वह काँप रहा था और उसकी साँस तेजी से चल रही थी । यही कारण
था कि वह घड़ी ( उठा ) लेने में हर बार रुक जाता था ।
It would not do to put it off any longer. If he thought any
further, he would not be able to do anything. He might even blurt out his
intention accidentally. So he must take it tomorrow. Suppose he did not ?
और अधिक देर तक टालमटोल करने से काम चलने वाला
नहीं था । यदि वह और अधिक सोच - विचार करता रहता तो वह कुछ भी कर सकने लायक नहीं
रहता । शायद वह मूर्खतावश अपने मन की इच्छा को जोर से कह भी सकता । इसलिये उसे
अगले दिन उस ( वस्तु ) को जरूर ले लेना होगा । मानो वह उस ( वस्तु ) को नहीं लेता
है तब ?
Sanku's thoughts
began to linger over the thorny problems of his life. Tomorrow would be the
third day of the month. In another three days, he would get his pay-thirteen
rupees for thirteen days. He had to pay four and a half rupees for purchases at
the store; there would be a balance of eight and a half rupees. He had repaid
only five out of the ten rupees he had borrowed from the Fund the previous
month to go home for his mother's death anniversary. No, he must pay the
remaining five rupees with interest at six paise a rupee a week. At the
teashop, he owed over three rupees for two weeks, besides previous arrears
amounting to a rupee and a half. He owed six rupees to Ali for supplying extra
rice, beedis and other odds and ends. One month's house-rent was three rupees.
In addition to these sums he had taken small loans of twelve paise, twenty-five
paise and fifty paise from several people. And his wife had reminded him two
days before about the one rupee to be paid to the fish-woman. Sanku mentally
added up the total amount that he needed.
संकू के विचार उसके अपने जीवन की पीड़ादायिनी
समस्याओं के आसपास ठहरने लगे । अगला दिन महीने का तीसरा दिन होगा । अगले तीन दिनों
में उसे तेरह दिन का वेतन तेरह रुपये मिलेगा । ( एक ) दुकान से खरीदी हुई चीजों के
बदले उसे उसको ( दुकानदार को ) साढ़े चार रुपये देने थे , तब ( उसके पास )
साढ़े आठ रुपये बचे रहेंगे । पिछले महीने अपनी माँ की मृत्यु की बरसी के लिए जब वह
घर गया था तब उसने फण्ड में से जो दस रुपये लिए थे उनमें से उसने अभी तक केवल पाँच
रुपये चुकाये थे । उसे बाकी के पाँच रुपये भी छ : पैसे प्रति रुपया प्रति सप्ताह
के ब्याज के साथ अवश्य दे देने चाहिये । चाय की दुकान पर ( चाय वाले के ) पिछले
चले आ रहे डेढ़ रुपये के अतिरिक्त दो सप्ताह के तीन रुपयों से ज्यादा और देने थे ।
चावल , बीड़ी आदि चीजों के उसे अली के छ : रुपये देने थे । मकान का किराया
तीन रुपये प्रति माह था । इन रकमों के अलावा उसने बारह पैसे , पच्चीस
पैसे और पचास पैसे के छोटे - छोटे कर्जे अनेक लोगों से ले रखे थे । दो दिन पहले
उसकी पत्नी ने उसे याद दिलायी थी कि एक रुपया मछलीवाली को दिया जाना था । संकू ने
मन ही मन उस सारी धनराशि का जोड़ लगाया जिसकी उसको आवश्यकता थी
What he was going to
get was just eight and a half rupees . What he owed was twenty - two rupees
thirteen paise . He had other needs too . He had borrowed three rupees from his
wife . This was out of the sum she had slowly saved up now and then in order to
buy a waist - chain for the younger child . He had assured her that he would
buy it out of his pay that month .
उसको केवल साढ़े
आठ रुपये मिलने वाले थे । उस पर बाईस रुपये तेरह पैसे का कर्ज था । उसकी और दूसरी
आवश्यकताएँ भी थीं । उसने तीन रुपये अपनी पत्नी से उधार ले रखे थे । यह ( उधार )
उस रकम में से था जो उसने ( संकू की पत्नी ने ) धीरे - धीरे इधर - उधर से बचाकर
जमा की थी ताकि उसके छोटे बच्चे के लिए कमर में बाँधने वाली जंजीर बन सके । उसने
अपनी पत्नी से वायदा किया था कि अपने उस महीने के वेतन में से उसे ( कमर की जंजीर
) अवश्य खरीद देगा ।
Sanka's heart beat uncontrollably fast. Through his heart - beats, he could hear the
harsh voice of the tea - shop owner, Kochunni, Ali's hollow laughter and vulgar
words and e irritating talk of Lonappan who was in charge of the Fund. He felt that they were all surrounding him
like rowdy boys, armed with sticks, gathering around a stray dog. What borible scene!
संकू का दिल
अनियन्त्रित रूप से तेज होकर धड़कने लगा । अपने दिल की धड़कनों के बीच में से उसे
सुनायी पड़ने लगा चाय वाले चुन्नी का तीखा स्वर , अली की खोखली
हँसी और बेहूदी गालियाँ और फंड के इंचार्ज लोनप्पन की क्रोधित बातचीत । उसे लगा
जैसे कि ये ( सब लोग ) उसे शरारती लड़कों की तरह हाथ में लाठियां लेकर एक आवारा
कुत्ते की तरह से घेर रहे हैं । कितना भयंकर दृश्य था ।
Finding it unbearable, Sanku turned over on his stomach and
thought, "I have no alternative but to pick it up tomorrow. Will it not
fetch at least twenty rupees ? Even fifteen will do ! Fifteen plus eight and
half, that is twenty-three and a half rupees. It will fetch more than
fifteen." He would be able to pay his debts, and live in peace. A life
free from debts ! With a feeling of relief he drifted into a light sleep.
इस सबको असहनीय
पाकर संकू करवट बदलकर पेट के बल लेट गया और ( उसने ) सोचा , " कल
उसको ( घड़ी को ) उठा लेने के अलावा मेरे पास और कोई चारा नहीं है । क्या उससे कम
से कम बीस रुपये नहीं मिल जायेंगे ? पन्द्रह तक से काम चल जायेगा । पन्द्रह
और साढ़े आठ अर्थात् साढ़े तेईस रुपये । इससे पन्द्रह रुपये से अधिक ही मिलेंगे ।
वह अपना कर्ज उतारने और शान्तिपूर्वक रहने योग्य हो जायेगा । एक ऋणमुक्त जीवन ।
" आराम की भावना के साथ वह नींद में डूब गया । सुबह हो गयी ।
"What, are you
still asleep ?" Sánku's wife said gently shaking his shoulders. "It
is long after sunrise." Sanku raised his head at once. His wife picked up
the younger child who was crawling up to her, and asked Sanku, "Don't you
have to go to work today ?" "O yes," he said, and got out of bed
यह क्या ,
तुम
अभी तक सोये पड़े हो ? " हल्के - से संकू का कन्धा हिलाते हुए
उसकी पत्नी ने कहा । " सूर्व निकले बहुत देर हो चुकी है । " संकू ने
जल्दी से अपना सिर उठाया । उसकी पत्नी ने छोटे बच्चे का गाद में उठा लिया जो उसकी
तरफ रेंगता आ रहा था और संकू से पूछा , " क्या तुम्हें आज
काम पर नहीं जाना है ? " " अरे हाँ , " उसने
कहा और बिस्तर से उठ गया ।
He stepped down into the courtyard in a hurry, watching the
golden rays of the morning-sun piercing the lush bamboo foliage on the eastern
side and brighteing the old palm leaf thatch. He washed his face and
hands as usual, put on his working clothes, and was about to leave for his
factory when his wife said
सुबह के सूर्य
की सुनहरी किरणें जो पूर्व की दिशा की ओर वाले बाँस के हरे - भरे झुरमुट को भेद
रही थीं तथा ताड़ के पत्तों वाले पुराने छप्पर को चमका रही थीं , को
देखते हुए वह जल्दी - जल्दी आँगन में उतर गया ।
सदैव की भाँति
हाथ - मुँह धोये , काम पर जाने वाले अपने कपड़े पहने और अपनी
फैक्ट्री के लिये निकलने हो वाला था कि उसकी पत्नी ने कहा
,
"Listen , you must buy some ointment for the child ! " She threw a
commanding look at him . Sanku felt that each of the sore on the child's
festering body was staring at him a gruesome way . A moment passed in silence .
सुनो , बच्चे
के लिए कोई मलहम अवश्य खरीद कर लाना है । " ( कहते हुए ) उस ( पत्नी ) ने
उसकी ( संकू की ) ओर एक आदेशात्मक दृष्टि डाली । संकू को लगा कि बच्चे के शरीर की
हर एक पकती हुई फुसी उस ( संकू ) की तरफ भयानक तरह से घूर रही है । एक पल खामोशी
में गुजर गया ।
" What sort of
ointment ? " Sanku asked like a fool . " Ointment for the sores .
" continued the wife . " You mean you have not seen the sores all
over the child's body ! " " Yes . How many paise worth of ointment ?
" " At least 13 paise worth . We must apply it for three days at
least . " " H'm " , Sanku began to walk with bent head . "
Please , " she called out in a soft voice . Sanku looked back . She spoke
gently , Please bring two ripe bananas when you come back in the evening - the
baby starts crying at night - and I have no milk to give him . " She stood
there pulling up her blouse with her left hand . Then Sanku noticed her belly
bulging out ! Was yet another burden on the way ? Sanku was stunned . He cursed
himself , and with a deep sigh he resumed his walk to the factory . "
Listen ! Do not forget , " the wife reminded him . Sanku nodded his head
and walked
किस तरह का मलहम
? " संकू ने एक मूर्ख आदमी की तरह से पूछा । फुसियों वाला मलहम ,
" पत्नी कहती गयी , " तुम्हारा तात्पर्य यह है कि तुमने
बच्चे के पूरे शरीर की फुसियाँ नहीं देखी हैं । ओ , हाँ .. कितने
पैसे वाली मलहम ? " " कम से कम 13 पैसे वाली । कम
से कम तीन दिन तो हमें ( बच्चे के शरीर पर ) यह लगानी ही होगी । " " हूँ
। " वह सिर झुका कर चलने लगा । " अजी सुनते हो , " उसने
कोमल स्वर से पुकारा । संकू ने पीछे घूम कर देखा , उसने ( पत्नी ने
) मधुरता से कहा , " शाम को जब वापस आओ तो दो पके केले लेते
आना । बच्चा रात को रोने लगता है और उसे देने के लिए मेरे पास दूध नहीं है ।
" अपने बायें हाथ से अपना ब्लाउज ऊपर खींचती हुई वह वहाँ खड़ी रही । तब संकू
ने देखा कि उसका ( पत्नी का ) पेट आगे को बढ़ा हुआ था । क्या एक और वजन (
जिम्मेदारी ) चला आ रहा है ? संकू सन्नाटे में आ गया । उसने अपने
आपको कोसा और एक गहरी साँस लेकर वह फैक्ट्री की ओर फिर से चलने लगा । “ सुनो
, भूलना मत , ' पत्नी ने उसे याद दिलाई । संकू ने '
हाँ
' में सिर हिलाया और चलता गया ।
At one o'clock the
bell rang for the interval . Everyone rushed in haste to homes hotels or tea
shops for lunch . Sanku was the only one who did not go anywhere . He stood
leaning against a pillar in a corner on the west side of the office . His heart
was clouded and bursting with impatience .
एक बजे मध्यावकाश
की घंटी बजी । प्रत्येक व्यक्ति घरों , होटलों या चाय की दुकानों की ओर दोपहर
के भोजन के लिये दौड़ा । अकेला संकू ही एक ऐसा ( आदमी ) था जो कहीं नहीं गया ।
कारखाने के पश्चिम वाले कोने के खम्भे के सहारे वह खड़ा रहा । उसके दिल पर घटाएँ
छाई हुई थी और वह ( उसका दिल ) अधीरता से फटा पड़ रहा था ।
A few moments passed
. The engineer , a short , fat Englishman with cat - like eyes , who looked
like a marble statue , got out of the room , closed the door , and left . As
usual , there was no watch on his wrist ! Sanku's heart felt cool with relief .
A few more moments passed . Sanku looked all around , there was nobody in sight
. He walked towards
कुछ पल बीत गए । छोटे कद का , बिल्ली
जैसी आँखों वाला , संगमरमर की मूर्ति जैसा दिखने वाला , मोटा
अंग्रेज इंजीनियर कमरे से निकला , ( उसने ) दरवाजा बन्द किया और चला गया ।
सदैव की तरह उसकी कलाई में घड़ी नहीं थी । संकू के हृदय में आराम के साथ ठण्डक
पड़ी । कुछ और पल गुजर गये । संकू ने चारों ओर देखा । ( कहीं ) कोई दिखाई नहीं
पड़ा ।
He walked towards the office . The glass window , as usual ,
was only partially closed . The gold watch was on the table . How it glittered
! His heart beat faster . The Englishman would return after lunch and his
siesta only by four o'clock ! A good opportunity ! There was nobody around
वह दफ्तर की ओर चला । काँच की खिड़की सदैव की
तरह , थोड़ी - सी बन्द थी । सोने की घड़ी मेज पर धौ । वह कैसी चमक रही थी !
उसका दिल और तेजी से धड़कने लगा । वह अंग्रेज दोपहर के भोजन और नोंद के उपरान्त
चार बजे तक ही लौटेगा । एक अच्छा अवसर था । चारों ओर कोई नहीं था ।
One, two, three ........, six or seven minutes passed. Suddenly Sanku thought; suppose someone sees me! As in the past few days, fear pushed him
forward. He took a few steps, looked
around, but saw no one. Prompted again
by'urgent need he walked towards the room.
Once again he looked around.
Nobody was there! A shudder
passed through his veins: his heart throbbed.
One second passed. He stretched
out a hand and the gold watch was in it.
Nervously his eyes made a quick survey.
No one was there at all.
Trembling, he
put the watch in the pocket of his trousers . He held his
breath and walked forward in haste . After about ten steps , he looked back .
Then he saw someone walking quickly along the eastern corridor .
एक , दो , तीन .........
छः या सात मिनट बीत गये । अचानक संकू ने सोचा : मानो कोई उसे देख लेता है तो ?
डर
ने उसे आगे धकेल दिया । वह कुछ कदम ( और ) चला , ( उसने ) चारों ओर
देखा , पर ( उसे ) कोई नहीं दिखा । भारी आवश्यकता से मजबूर होकर वह कमरे की
ओर चला । एक बार फिर उसने चारों तरफ देखा । ( कहीं ) कोई नहीं था । उसका शरीर सिहर
उठा ; उसका दिल धड़कने लगा । एक सेकिण्ड बीता । उसने हाथ आगे बढ़ाया और
सोने की घड़ी उसके हाथ में आ गई । घबराई हुई आँखों से उसने शीघ्रता से जाँच -
पड़ताल की । कोई भी ( वहाँ ) नहीं था । काँपते हुए उसने घड़ी अपने पाजामे ( पेन्ट
) की जेब में रख ली । उसने अपनी साँस रोकी और जल्दी - जल्दी में आगे चला गया ।
करीब दस कदम के बाद , उसने पीछे देखा । तब उसने किसी को पूर्वी
बरामदे में जल्दी - जल्दी चलते देखा ।
Obviously he was going to the time - keeper's office . He
must have seen everything ! Sanku stood like a pillar , petrified . Perhaps he
was hastening to inform the watchman at the gate . Oh God ! Had he bungled ?
The gold watch seemed to burn his pocket like a burning cinder . It sent sparks
along his nerves . The whole world seemed to be spinning around him in a
blazing fire . Flames arose from every particle of sand ! No shade of coolness
anywhere ! Everything was on fire , burning , burning . " Brother Sanku ,
why are you standing here like a pillar ? " Sanku turned with a start and
saw Madhavan standing close by Sanku stammered out :
No reason ....... for nothing."
स्पष्ट था कि वह ( व्यक्ति ) टाइम - कीपर के
कार्यालय को जा रहा था । उसने ( अवश्य ) सब कुछ देख लिया होगा । शायद वह ( आदमी )
फाटक पर पहरेदार को खबर करने जल्दी - जल्दी जा रहा था । हे परमेश्वर ! क्या वह कोई
गड़बड़ कर बैठा है ? संकू पत्थर की मूर्ति की तरह खड़ा रह गया ।
सोने की घड़ी उसकी जेब को एक ( जलते हुए ) अंगारे की तरह जलाती हुई प्रतीत हुई ।
वह ( घड़ी उसकी नसों में चिन्गारी जला रही थी । सारी दुनिया ( लम्बी - लम्बी )
लपटों में जलती हुई उसके चारों तरफ लटू की तरह घूमती मालूम पड़ रही थी । रेत के हर
कण से ज्वालायें उठ रही थीं । ठण्डक के लिए कोई छाया नहीं थी । हर चीज जल रही थी ,
जल
रही थी , जल रही थी । " भाई संकू , तुम यहाँ पर
खम्भे की तरह से क्यों खड़े हो ? " संकू चौंक कर घूमा तो देखा कि पास ( ही
) माधवन खड़ा हुआ था । संकू हकला कर बोला : " कोई बात नहीं है . ( बस ऐसे ही
) बिना काम के । "
\
" Go on my liar ! " Madhavan said with a laugh and
walked away to his work . He must have gone and reported the theft ! My God !
Everyone probably knew about it .... All the eight hundred odd workers at the
factory would surround him noisily . They would look at him in scorn . They
would all remark with derision : " Thief ! Thief ! ” Then he would be
taken before the white boss , and reprimanded . How sternly he would look at
him ! Sanku would surely be dismissed . That fellow , Varkey , was dismissed
just for taking an old umbrella .
" चलो झूठे ( कहीं के ) , " माधवन
ने हँसकर कहा और अपने काम पर चला गया । उसने जाकर चोरी की रिपोर्ट अवश्य कर दी
होगी । मेरे ईश्वर ! शायद हर आदमी ने इसे जान लिया होगा ..... फैक्ट्री के पूरे आठ
सौ कर्मचारी शोरगुल के साथ उसे घेर लेंगे । वे
उसकी तरफ घृणा की नजर से ताकेंगे । वे उस पर चिढ़ाने वाली आवाजें कसेंगे : "
चोर ! चोर ! " फिर वह ( उस ) गोरे अफसर के सामने ले जाया जायेगा और उस पर
बेहद डाँट - फटकार पड़ेगी । कितनी कठोरता से वह ( गोरा साहब ) उसे घूरेगा । संकू
को अवश्य ही नौकरी से निकाल दिया जायेगा । वह तो एक पुराना छाता ले जाने के कारण
ही नौकरी से निकाल दिया गया था । भय संकू के दिल में समा गया और उसका दिल इसके
कमजोर ख्यालों में घुटने लगा ।
A cold fear entered
Sanku's heart which was choked with depressing thoughts . The guard would be
waiting at the entrance of the time keeper's office . He would catch him . No ,
that way lay danger . He would put this back in its place ; a scorching cinder
that was burning him . But then " Oh , no ! " he said to himself on
second thoughts . But finally he made up his mind . He was at the office room .
The window still remained half open ! Sanku looked around . No one was there ,
no one at all ! He took the gold watch quickly out of his pocket . His hand
trembled like an aspen leaf . He presently remembered his home and his unpaid
debts . What was to be done ? Sanku felt suffocated . The sound of a footstep
behind him ? Someone was returning ! He put the watch on the table and
breathlessly walked away .
एक ठण्डा भय
संकू के दिल में समा गया और उसका दिल इसके कमजोर ख्यालों में घुटने लगा । टाइम -
कीपर के दफ्तर के प्रवेश ( द्वार ) पर चौकीदार प्रतीक्षा कर रहा होगा । वह (
चौकीदार ) उसे ( संकू को ) पकड़ लेगा । नहीं , उस राह में खतरा
है । वह ( संकू ) उसे ( घड़ी को ) उसके स्थान पर वापस रख देगा । एक जलता हुआ
अंगारा जैसे उसे जला रहा था । परन्तु फिर दुबारा सोचते हुए उसने ( मन ही मन में )
" ओह , नहीं । " ( परन्तु ) उसने अपने मन में
अन्तिम फैसला कर लिया । ( अब ) वह कार्यालय के कमरे के पास था । खिड़की अभी भी
अधखुली थी । संकू ने चारों तरफ देखा वहाँ कोई नहीं था । उसने अपनी जेब से जल्दी से
सोने की घड़ी निकाली । उसका हाथ पेड़ के पत्ते के समान काँप रहा था । उसको एकाएक
अपने घर का और ( अपने पर चढ़े हुए ) बिना चुकाये हुए कर्ज का ध्यान आसा । क्या
किया जाना था ( क्या हो सकता था ) ? संकू को लगा ( मानो ) उसका दम घुट रहा
था । उसके पीछे ( किसी की ) पद चाप । कोई वापस आ रहा था । उसने घड़ी ( वापिस ) मेज
पर रख दी और तेजी से चल दिया ।
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